खसरा नंबर कहीं का, हुडा की जमीन पर बनाई छह दुकानें सील
अंबाला शहर के मानव चौक पर हुडा की जमीन पर अफसरों की नाक के नीचे भूमाफियाओं ने छह दुकानें बना दी लेकिन अफसरशाही बेपरवाह रही। सरकारी जमीन पर कब्जा हुआ दुकानें बनीं और फिर दूसरा खसरा नंबर दिखाकर रजिस्ट्री करवा ली गई।
दीपक बहल, अंबाला शहर: अंबाला शहर के मानव चौक पर हुडा की जमीन पर अफसरों की नाक के नीचे भूमाफियाओं ने छह दुकानें बना दी, लेकिन अफसरशाही बेपरवाह रही। सरकारी जमीन पर कब्जा हुआ, दुकानें बनीं और फिर दूसरा खसरा नंबर दिखाकर रजिस्ट्री करवा ली गई। इस मामले में नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी चुप्पी साधे रहे। दैनिक जागरण द्वारा मामले का पर्दाफाश करने के बाद नगर निगम के अधिकारी नींद से जागे और आनन-फानन में अपनी गर्दन बचाने के लिए दुकानें सील कर नोटिस चिपका दिया। भले ही निगम ने अवैध रूप से बनी दुकानें तो सील कर दी, लेकिन डीसी अशोक कुमार सरकारी जमीन से कब्जा हटवाने के लिए जांच तक बिठाने से बच रहे हैं। इस पूरे मामले में भूमाफिया अफसरशाही पर हावी रहे हैं। करोड़ों रुपय के बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर लिया है।
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यह है मामला
शहर के मानव चौक के पास हुडा की बचत की जगह है। इसी जमीन के साथ शक्ति नगर कॉलोनी बनी हुई है। इसका फायदा उठाकर हुडा की जमीन को कॉलोनी में दिखा सारा खेल खेला गया। किसी अन्य जगह के खसरा नंबर पर इन दुकानों की रजिस्ट्री तक करवा ली गई और किसी को कानों कान खबर भी नहीं लगी। करोड़ों की प्रॉपर्टी हथियाने का सारा खेल चुनावी दिनों में ही खेला गया है। जैसे ही चुनावी हवा चली और बात राजनीतिक पार्टियों के टिकट का बंटवारा शुरू हुआ, दुकानों का नींव पत्थर रखना शुरू कर दिया गया। अवैध दुकान को न तो हुडा से एनओसी मिली है और न ही इन दुकानों का नक्शा पास है। अभी तक दुकानों के नक्शा पास किये जाने के लिये अप्लाई तक नहीं किया गया।
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60 लाख में बेची जा रही एक दुकान
दुकानें पूरी तरह तैयार हो चुकी हैं। अब उन्हें बेचने का काम शुरू कर दिया गया है। फिलहाल शुरुआती भाव ने सभी को हिलाकर रख दिया है। क्योंकि यहां दुकान लेना इतना आसान भी नहीं है। यहां एक दुकान की कीमत करीब 60 लाख रुपये रखी गई है। ऐसे में सभी दुकानों को बेचा जाए तो मामला करोड़ों रुपये में पहुंचता है।
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जाकर चेक करूंगा, ईओ हुडा से कर लें बात : डीसी
डीसी अशोक कुमार ने कहा कि आज मैंने समाचार पत्र में पढ़ा है आप इस संबंध में हुडा के ईओ से बात कर लीजिए। जब डीसी से पूछा गया कि क्या उन्होंने इस मामले में जांच बिठाई, तो उन्होंने कहा वह अभी जाकर चेक करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक इस मामले में जांच नहीं बिठाई गई। जब दैनिक जागरण ने डीसी से पूछा कि हुडा की जमीन पर एक-एक कर छह दुकानें कैसे बन गई, तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। उनका कहना था कि पहले वे खुद चेक करेंगे और फिर जांच बिठाई जाएगी।
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इन सवालों का नहीं मिला जवाब
- हुडा की जमीन पर जब कब्जा हुआ, तो अधिकारी चुप्पी साधे क्यों बैठे रहे। हुडा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है या फिर वे इस मामले से बेखबर रहे।
- नगर निगम की बिना अनुमति से एक-एक कर छह दुकानें बन गई हैं। समय रहते निर्माण कार्य को क्यों नहीं रुकवाया गया। सरकारी फंड में एक रुपया भी जमा नहीं हुआ और फिर भी दुकानें सजकर तैयार कैसे हो गई।
- इन जमीनों की खसरा नंबर में खेल कर रजिस्ट्री कर दी गई, इसको लेकर भी तहसील के अधिकारियों ने रजिस्ट्री से पहले जांच की या फिर आनन फानन में आंखें बंद कर रजिस्ट्रियां कर दी।