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लाइफ स्टाइल : आर्टिफिशियल फूलों से बदला जा रहा घर व आंगन का स्वरूप

फूल सदा मुस्कुराते हैं हमको यही बताते हैं। मीठे बोल सदा ही कहना, उपवन को महकाते रहना। फूल चाहे कैसा भी हो सदैव मुस्कुराते रहता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 06:14 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 12:50 AM (IST)
लाइफ स्टाइल : आर्टिफिशियल फूलों से बदला जा रहा घर व आंगन का स्वरूप
लाइफ स्टाइल : आर्टिफिशियल फूलों से बदला जा रहा घर व आंगन का स्वरूप

जागरण संवाददाता, अंबाला: फूल सदा मुस्कुराते हैं हमको यही बताते हैं। मीठे बोल सदा ही कहना, उपवन को महकाते रहना। फूल चाहे कैसा भी हो सदैव मुस्कुराते रहता है। उनसे घर-आंगन की बगिया महकती है। किसी कवि की यह पक्तियां इन दिनों अंबाला में साकार हो रही हैं। खुशबूदार फूलों के साथ ही आजकल बनावटी फूल, गुलदस्ते भी घर-आंगन की सजावट में चार चांद लगा रहे हैं। बाजारों में जहां आर्टिफिशियल फूलों की जहां भरमार है, वहीं इनके कदरदानों की भी कमी नहीं है। घर व आंगन में पौधे लगाकर न सही मगर यह बनावटी फूल, गुलदस्ते, फ्लावर पॉट, प्लांट, गमले सरीखे आइटम आदि से अपने घरों को सजा रहे हैं। ये फूल असली फूलों की तुलना में ज्यादा समय तक बने रहते हैं। सौदागर बाजार स्थित रूची इम्पोरियम से अशोक सभ्रवाल ने बताया कि फूलों के गुलदस्ते के अलावा एक ¨सगल टहनी भी पसंद की जाती है। इन नकली फूलों को न तो ज्यादा देखभाल की जरूरत है और न ही पानी देना पड़ता है। ¨सथेटिक कपड़े से तैयार इन फूलों पर उतनी धूल नहीं जमती है, तो बार-बार साफ नहीं करना पड़ता।

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गुलाब, गुजदावरी व पॉम की रहती है ज्यादा डिमांड

ट्विन सिटी में ऐसे फूलों व फ्लावट पॉट की काफी दुकानें उपलब्ध है। अशोक ने बताया कि युग के अनुसार लोगों का ट्रेड बदल गया है, आजकल इस तरह के आइटमों की अधिक मांग है। गुलाब, सूरजमुखी, ब्लोसम, मोगरा, चेरी फु्रट सहित विभिन्न नामों के बनावटी फूल व गुलदावरी, पॉप आदि को बेहद पसंद किया जाता है। ¨सथेटिक के कपड़े के अलावा फ्लावर पॉट के इस्तेमाल में क्रिस्टल, कागज, कपड़े व लकड़ी का इस्तेमाल रहता है। इनकी कीमत महज पांच रुपये फूल से शुरू होकर करीब दो से तीन हजार तक रहती है। कमरों के अंदर डेकोरेशन के अलावा बनावटी आंगन बनाने के लिए इन्हें पसंद किया जा रहा है।

महीनों तक संजोया जा सकता है इन्हें

घर सजाने को आर्टिफिशियल फूल सबसे अच्छा विकल्प हैं। क्योंकि ये न तो मुरझाते हैं और न ही सूखकर झड़ते हैं। दिखने में ये असली जैसे दिखाई देते हैं और थोड़े सस्ते भी हैं। इन्हें महीनों तक संजोया जा सकता है। आर्टिफिशियल फूलों में सेंट मशीनें भी फिट होने लगी हैं, जिन्हें ऑन करते ही फूलों से खुशबू निकलनी शुरू हो जाती है। ऐसा करने से युवा पीढ़ी को फूलों के बारे में जानकारी भी मिलती है। दुकानदार ने बताया कि खासतौर पर युवा फ्लावर व फ्लावर पॉट का इस्तेमाल एक दूसरे को उपहार स्वरूप देने के लिए भी कर रहे हैं। खासकर उन्हें छोटे-छोटे फ्लावर पॉट बेहद पंसद है जिनमें केवल एक फूल लगा होता है।


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