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राजनीतिक उपेक्षा के कारण जिला बनने से पिछड़ रहा नारायणगढ़

संघर्ष समिति ने डिप्टी सीएम को ज्ञापन देकर जिला बनाने की मांग उठाई संवाद सहयोगी नारायणगढ़ हरियाणा-पंजाब का पुराना सब डिवीजन नारायणगढ राजनीतिक नेतृत्व की कमी के चलते जिला बनाने के लिए हाशिये पर रखा गया है। जबकि राज्य के कई ब्लॉक और कस्बे जिला के रूप में उदय हो गए है। जिला बनाने

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 01:14 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 06:21 AM (IST)
राजनीतिक उपेक्षा के कारण जिला बनने से पिछड़ रहा नारायणगढ़
राजनीतिक उपेक्षा के कारण जिला बनने से पिछड़ रहा नारायणगढ़

हरियाणा-पंजाब का पुराना सब डिवीजन नारायणगढ राजनीतिक नेतृत्व की कमी के चलते जिला बनाने के लिए हाशिये पर रखा गया है। जबकि राज्य के कई ब्लॉक और कस्बे जिला के रूप में उदय हो गए है। जिला बनाने की मुहिम को लेकर फिर से जिला बनाने को लेकर जिला बनाओ संघर्ष समिति ने उपमुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा। पुराना सब डिविजन नारायणगढ़ में सढोरा, कालका समेत तीन विधानसभा क्षेत्र थे। धीरे-धीरे इसके क्षेत्र को बांटने के लिए पंचकूला जिला बनने पर कालका से लेकर रायपुरानी जैसी तहसीले पंचकूला में शामिल कर दी गईं। यमुनानगर जिला बनने पर साढ़ोरा तक गांवो को यमुनानगर में शामिल कर दिया गया। इस पर नारायणगढ़ पिछड़ता गया, जबकी अन्य आसपास व प्रदेश के कस्बों को जिला बना दिया गया। 2008 में पहली बार यह मांग उठाई गई कि नारायणगढ़ की तरक्की के लिए इसे जिला बनवाने का प्रयास किया जाए, इसे लेकर 2012 में शहर के मौजिज लोग, सामाजिक संस्थाओं की एक मीटिग कर संयुक्त रूप से 25 सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद नारायणगढ़ जिला बनाओं संयुक्त संघर्ष समिति बनाकर संघर्ष करते हुए प्रदर्शन किया और एसडीएम के माध्यम से सीएम के नाम ज्ञापन दिया गया। तत्कालीन राज्यमंत्री नायब सैनी के माध्यम से भी मांगपत्र सौंप कर सरकार से मांग रखी गई, लेकिन राजनीति की कमियों के कारण आज भी जिला न बनने पर पिछड़ रहा है। शुक्रवार को नारायणगढ़ को जिला बनाने की मांग को लेकर नारायणगढ़ जिला बनाओ संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल ने हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को ज्ञापन देकर जिला बनाने की मांग की। प्रतिनिधि मंडल में सदीक चौहान, गुरपाल सिंह अकबरपुर, एधर्मवीर भसीनएमा सुखदेव राजएश्याम लाल कौशिक, राम निरंजन, लाजपत भारांपुर, ज्ञानचंद धीमान, अरुण मान, रमेश भेड़ो, मदन बख्तुआ, रोहित शामिल रहे। दुश्यंत चौटाला ने आश्वासन देते हुए ज्ञापन एफसीआर को भेज दिया और कहा कि वह इसे लेकर प्रयास करेंगे।

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