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आठ माह से वेतन का इंतजार, भूखे मरने की नौबत आई तो करनी पड़ी हड़ताल

आठ माह से वेतन न मिलने से गुस्साए निगम में कार्यरत ड्राइवरों ने हड़ताल कर दी है। इसीलिए ट्विन सिटी में नालियों और गलियों से साफ किया गया कूड़ा पिछले दो दिनों से नहीं उठ पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 08:10 AM (IST)
आठ माह से वेतन का इंतजार, भूखे मरने की नौबत आई तो करनी पड़ी हड़ताल
आठ माह से वेतन का इंतजार, भूखे मरने की नौबत आई तो करनी पड़ी हड़ताल

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर :

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आठ माह से वेतन न मिलने से गुस्साए निगम में कार्यरत ड्राइवरों ने हड़ताल कर दी है। इसीलिए ट्विन सिटी में नालियों और गलियों से साफ किया गया कूड़ा पिछले दो दिनों से नहीं उठ पा रहा है। कूड़ा नहीं उठने के कारण के बार फिर ट्विन सिटी में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गुस्साए कर्मचारियों ने सोमवार को निगम कार्यालय अंबाला शहर में पहुंचकर ठेकेदार से वेतन की गुहार लगाई। लेकिन ठेकेदार ने केवल एक माह के वेतन का ही आश्वासन दिया। वहीं कर्मियों को कार्यालय में निगम आयुक्त नहीं मिले। इसी कारण अभी मंगलवार को भी इन चालकों की हड़ताल रहेगी। 8 माह से वेतन न मिलने के कारण ज्यादातर ड्राइवरों की हालत खस्ता हो चुकी है क्योंकि अब लोगों ने इन्हें कर्ज देने से भी इंकार कर दिया है। लगभग सभी ड्राइवर ऐसे हैं जोकि अपने परिवार के मुखिया हैं और अपने बूढ़े-माता-पिता को भी संभाल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर के बच्चे अभी छोटे हैं और स्कूल जाते हैं। इसीलिए उनकी फीस भी नहीं भर पा रहे। यह ड्राइवर ट्रालियां चलाते थे।

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27 ड्राइवर जोकि चलाते हैं निगम के ट्रेक्टर-ट्रालियां

निगम में कुल 27 ड्राइवर हैं जोकि ट्विन सिटी में ट्रेक्टर-ट्रॉलियां चलाते हैं। इन्हीं के जरिए जमादारों द्वारा नालियों और गलियों से साफ किए गए कूड़े को उठाकर डंपिग प्वाइंटों तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद ही डोर टू डोर ठेकेदार से प्लांट तक पहुंचाते हैं। लेकिन पिछले तीन दिनों से इन ड्राइवरों ने काम बंद कर दिया है। इसीलिए गलियों से साफ किया गया कूड़ा लोगों के घरों के आगे ही पढ़ा है या सड़कों के किनारे ढेर लगे हुए हैं।

------------ 8 माह से वेतन नहीं मिला। 2018 का 5 महीने और इस साल का फरवरी से अप्रैल तक का वेतन हमें नहीं दिया गया। तीन बच्चे हैं एक कालेज में है और दूसरा पालीटेक्निक में, तीसरी बेटी की शादी हो चुकी है। पूरे परिवार का खर्च इसी से चलता था लेकिन अब भूखे मरने की नौबत हो गई है।

अवतार सिंह, मोटा माजरा।

मेरा एक लड़का है जोकि डेढ़ साला है। इसके अलावा मेरे बूढे मां-बाप व मेरी पत्नी सभी का खर्च इसी से चलता था। करीब साढ़े 14 हजार रुपये मिलते थे लेकिन पिछले करीब 8 महीने का वेतन हमें नहीं दिया गया। अब तो कोई कर्ज भी देने को तैयार नहीं है।

दिलावर सिंह , सकरोंह

मेरे माता पिता भी मेरे साथ हैं। पत्नी के अलावा एक बेटा चौथी और दूसरा सातवीं में है। उन्हें स्कूल ले जाने वाला आटो चालक और राशन वाले सभी हमारी जान खा रहे हैं। कब तक उनके पैसे नहीं देंगे। लेकिन अब हम भी कैसे दें हमें भी पैसे नहीं मिल रहे।

नरेश कुमार, छावनी।

मैं गांव डडियाना से आता हूं। मेरे पास दो बेटियां हैं। इसके अलावा मां-पिता व पत्नी कुल छह सदस्यों का परिवार है। सभी मेरी तनख्वाह पर ही हैं। 8 माह से वेतन नहीं दिया गया। अब कहां से खिलाऊं और कहां से पैसे लाऊं। कोई सुनने को तैयार नहीं है।

रवि सिंह, डडियाना।

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