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मित्रता में धन नहीं आता आड़े : गोपाल

कथावाचक गोपाल भइया ने बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 08:11 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 08:11 AM (IST)
मित्रता में धन नहीं आता आड़े : गोपाल
मित्रता में धन नहीं आता आड़े : गोपाल

जागरण संवाददाता, अंबाला: कथावाचक गोपाल भइया ने बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। पानी परात को हाथ छूवो नाही, नैनन के जल से पग धोये। अर्थात श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रों से सुदामा का हालचाल पूछने लगे। वह शनिवार किस्मत नगर में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा सप्ताह के नौवें दिन श्रद्धालुओं के समक्ष प्रवचन कर रहे थे। जोकि श्री राधा कृष्ण कमेटी की ओर से आयोजित कराई जा रही थी। उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन-दौलत आड़े नहीं आती। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के 16107 विवाहों की विस्तृत कथा बताई। वहीं, नव योगेश्वर की कथा और दत्तात्रेय महराज की कथा श्रवण करवाई। कथा के आखिरी दिन वास्तु गोल्ड मेडलिस्ट विकास शर्मा लक्की बतौर मुख्य अतिथि रहे। गोपाल भइया ने श्री कृष्ण भजनों का गुणगान किया और भक्तों ने फूलों की वर्षा की। दूरदराज से भक्त पहुंचे और कथा का आनंद उठाया। समाप्ति पर अटूट प्रसाद वितरित किया। सेवादारों ने बताया कि रविवार को कथा स्थल यानी राजपूत धर्मशाला किस्मत नगर में विशाल भंडारा लगाया जाएगा। फोटो- 22, 23

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मां के प्रेम का वर्णन करना मुश्किल : नवल किशोर अंबाला: छावनी के 11 क्रॉस रोड स्थित हरमिलाप प्रेम मंदिर में श्रीमदभागवत कथा में कथावाचक नवल किशोर शास्त्री की ओर से भगवान के बाल चरित्रों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जो बाल्य अवस्था का चरित्र जीवन में घटित होता है उसमें मां का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। मां का जो प्रेम अपने बालक पर होता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। भगवान श्री कृष्ण के बाल चरित्र की मंगल कथाओं के साथ ही भगवान गोवर्धन का पूजन और 56 भोग लगाए गए और भगवान गोवर्धन को दिव्य लीला का वर्णन किया। जीवन में कभी भी किसी प्रकार का शोक नहीं होना चाहिए। शोक धैर्य को नष्ट करता है। इसलिए जीवन में भगवान श्री गोवर्धन का समर्पण जीवन में सभी शोकों का विनाश करता है और हमारी इंद्रियां भगवान के चरणों में लगी रहती है। इस मौके पर कमल ठुकराल, रमेश गुलाटी, हरचरण छाबड़ा, संयम डांग, प्रेम लूथरा, राममूर्ति, सौरभ लूथरा और महिला मंडल से शशी गुलाटी मौजूद रहे।


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