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आधुनिकता से पंचायत का पराली पर वार, पर्यावरण से प्यार

खेत में पराली जलाएंगे तो खुद के साथ जीवों का जीवन भी संकटमय बनाएंगे। इसीलिए पराली न जलाओ पर्यावरण को बचाओ। गांव ढकौला की पंचायत ने इन लाइनों को जीवन में उतार वह कर दिया जिसकी खुद जिला प्रशासन ने भी कल्पना नहीं की थी। पढ़ी लिखी गांव की पंचायत ने इस साल पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी आहुति डाली और पूरे गांव में पर्यावरण को बचाने के लिए पराली नहीं जलाने का संदेश दिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 01:18 AM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 01:18 AM (IST)
आधुनिकता से पंचायत का पराली पर वार, पर्यावरण से प्यार
आधुनिकता से पंचायत का पराली पर वार, पर्यावरण से प्यार

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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खेत में पराली जलाएंगे तो खुद के साथ जीवों का जीवन भी संकटमय बनाएंगे। इसीलिए पराली न जलाओ पर्यावरण को बचाओ। गांव ढकौला की पंचायत ने इन लाइनों को जीवन में उतार वह कर दिया जिसकी खुद जिला प्रशासन ने भी कल्पना नहीं की थी। पढ़ी लिखी गांव की पंचायत ने इस साल पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी आहुति डाली और पूरे गांव में पर्यावरण को बचाने के लिए पराली नहीं जलाने का संदेश दिया। इसका परिणाम भी सामने आया। नतीजा गांव में करीब 80 छोटे-बड़े किसानों में से किसी ने भी इस साल पराली नहीं जलाई।

कैसे संभव हो पाई मुहिम

दरअसल बीडीपीओ सुमन कादियान और ग्राम सचिव सचिन के प्रयास से गांव में किसानों का एक संगठन बनाया गया। इस ग्रुप ने मिलकर कस्टमर हाय¨रग सेंटर ले लिया। इसमें एमबी फ्लो, ट्रैक्टर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल मशीन और रोटावेटर इस ग्रुप ने खरीदे। इन सभी पर सरकार की ओर से 80 प्रतिशत अनुदान मिल गया। जिस भी किसान को सीजन के दौरान उपकरणों की जरूरत पड़ी इस किसान ग्रुप ने कस्टमर हाय¨रग सेंटर के माध्यम से डीसी रेट पर उसे उपकरण उपलब्ध करा दिए। इस तरह पराली का खात्मा भी हो गया और किसानों ने सस्ते दामों व सुविधाजनक तरीके से फसल की बिजाई भी कर दी।

क्या किया इस साल किसानों ने पराली का

कंबाइन से जीरी कटवाने के बाद किसानों ने एमबी फ्लो से जमीन की जुताई करवा दी। इस विधि में पराली वाली सतह मिट्टी के नीचे दब गई और नीचे दबी हुई मिट्टी करीब सात इंच तक ऊपर आ गई। इसके बाद किसानों ने इसमें गेहूं बीज दी। इस तरह जब गेहूं की सीजन में कटाई होगी तो जो पराली नीचे दबी थी वह अगली जुताई में खाद बनकर ऊपर आ जाएगी और गेहूं की पराली नीचे दब जाएगी।

क्या है कस्टमर हाय¨रग सेंटर

जिन किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और वह महंगे कृषि यंत्रों में निवेश नहीं कर सकते ऐसे किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने कस्टमर हाय¨रग सेंटर स्थापित किए। योजना के अंतर्गत कस्टम हाय¨रग सेंटर खोलने के लिए यदि किसान आवेदन करता है तो उसे कुल लागत का 40 प्रतिशत व यदि किसान समूह में आवेदन करते हैं तो कुल लागत का 80 प्रतिशत तक अनुदान देने का प्रावधान है । अनुदान 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक दिया जाता है।

वाट्सएप का लिया सहारा

सरपंच ने ग्राम पंचायत ढकौला नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया। इसके माध्यम से कृषि संबंधित जानकारी और पंचायत के सभी बड़े आयोजनों की जानकारी ग्रामीणों को दे दी जाती है। इसके अलावा जिला उपनिदेशक की ओर से बनाए ग्रुप से भी सरपंच व पंचायत सदस्य जुड़े हैं ताकि हर नई योजना से पंचायत को जोड़ा जा सके।

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फोटो: 02

पूरी ग्राम पंचायत के साथ मिलकर ग्रामीणों ने पराली नहीं जलाने पर हमारा साथ दिया। इसी कारण किसी भी किसान ने इस बार गांव में पराली नहीं जलाई। करीब 50-60 किसानों ने कस्टमर हाय¨रग सेंटर के उपकरणों का लाभ उठाया।

द¨वद्र ¨सह, सरपंच।


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