पढ़ाई में नहीं लगता था मन, इसलिए घर से भाग दिल्ली-राजस्थान होते हुए नाबालिग अंबाला पहुंचा
पढ़ाई में मन नहीं लगता था तो पिता अपने नाबालिग ब"ो को मोटरसाइकिल रिपेयर का काम सिखाना चाहते थे। लेकिन नाबालिग यह काम भी नहीं करना चाहता था और इसलिए पंजाब के बरनाला में अपने पिता से अलग होकर दिल्ली में रह रही अपनी मां के पास पहुंच गया। लेकिन यहां भी रहने के बजाए वह ट्रेन में राजस्थान पहुंच गया। इसके बाद भी जब कोई ठिकाना नहीं मिला तो ट्रेन में बैठकर अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पहुंच गया। यह खुलासा स्टेशन पर मिले एक नाबालिग ने सीडब्ल्यूसी टीम की काउंसि¨लग में किया है। हालांकि उसने अपने पिता का मोबाइल नंबर भी बताया जिस पर टीम ने फोन कर उन्हें सूचना दी।
जागरण संवाददाता, अंबाला : पढ़ाई में मन नहीं लगता था तो पिता अपने नाबालिग बच्चे को मोटरसाइकिल रिपेयर का काम सिखाना चाहते थे। लेकिन नाबालिग यह काम भी नहीं करना चाहता था और इसलिए पंजाब के बरनाला में अपने पिता से अलग होकर दिल्ली में रह रही अपनी मां के पास पहुंच गया। लेकिन यहां भी रहने के बजाए वह ट्रेन में राजस्थान पहुंच गया। इसके बाद भी जब कोई ठिकाना नहीं मिला तो ट्रेन में बैठकर अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पहुंच गया। यह खुलासा स्टेशन पर मिले एक नाबालिग ने सीडब्ल्यूसी टीम की काउंसि¨लग में किया है। हालांकि उसने अपने पिता का मोबाइल नंबर भी बताया जिस पर टीम ने फोन कर उन्हें सूचना दी। शनिवार को पंजाब के बरनाला से नाबालिग को लेने उसका पिता पहुंचा और कागजी कार्रवाई के बाद उसे पिता को सौंप दिया गया।
हुआ यूं कि जिला बाल कल्याण परिषद की ओर से संचालित रेलवे चाइल्ड हेल्पलाइन में ऑपरेशन मुस्कान के तहत शनिवार सुबह आउटरीच के दौरान टीम सदस्य सोनू शर्मा, मोहित ¨सह, हेड कांस्टेबल लक्ष्मी को प्लेटफार्म नंबर-6 पर एक नाबालिग लावारिस घूमता हुआ मिला। टीम उसे अपने साथ हेल्पलाइन डेस्क में ले आई। जब उसकी काउंसि¨लग की गई तो नाबालिग ने बताया कि वह 7 फरवरी से घर से निकला था और अमांगढ़ दिल्ली बाईपास रोड जयपुर राजस्थान का रहने वाला है। उसके पिता का नाम चांद मोहम्मद और माता का नाम फरजाना है और वह चार भाई-बहनें हैं। दो भाई पिता के साथ बरनाला पंजाब में रहते हैं जो कि वहां पर मछली बेचने का काम करते हैं। बच्चे ने बताया कि उसके पिता जयपुर से उसे बरनाला मदरसे में पढ़ाने के लिए लेकर आया था लेकिन बच्चा मदरसे में पढ़ना नहीं चाहता था। उसके पिता चाहते हैं कि वह मोटरसाईकिल रिपेयर का काम करें। इसलिए बच्चा बरनाला से भागकर अपनी मां के पास गया जोकि दिल्ली में रहती है। इसके बाद वह जयपुर गया और उसके बाद दोबारा से पटियाला आ गया। अब इसने पटियाला से वापस अपने पिता के पास बरनाला जाना था लेकिन वह दिल्ली की ट्रेन में बैठकर अंबाला छावनी पहुंच गया। इस तरह वह चाइल्डलाइन टीम को मिला और उसके पिता भी देर शाम अंबाला पहुंचे। चाइल्डलाइन हेल्प डेस्क को-ऑíडनेटर राकेश कुमार और जीआरपी एसआइ ओम प्रकाश ने दस्तावेजों की जांच पड़ताल करने के बाद ऑपरेशन मुस्कान के तहत नाबालिग को उसके पिता के हवाले कर दिया।