गैर संचारी रोग की स्क्रीनिग में पुरुष बीपी और शुगर की चपेट में ज्यादा
स्वास्थ्य विभाग ने तीन साल में करीब 435451 पुरुष और महिलाओं की स्क्रीनिग की। इसमें हर साल शुगर और बीपी के लक्षण वाले मरीज अधिक मिले हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
महिला और पुरुष शुगर और बीपी से ग्रस्त होते नजर आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तीन साल में करीब 435451 पुरुष और महिलाओं की स्क्रीनिग की। इसमें हर साल शुगर और बीपी के लक्षण वाले मरीज अधिक मिले है। स्क्रीनिग में बीमारी के लक्षण मिलने पर जांच के बाद इलाज चल रहा है। इसके साथ ही मरीजों को बीमारी से बचाव के प्रति जागरुक भी किया गया।
स्वास्थ्य विभाग गैर संचारी रोग (एनसीडी) प्रोग्राम में 30 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की स्क्रीनिग की जाती है। इसके लिए एनसीडी ब्लॉक की ओपीडी में आने वाले युवाओं की स्क्रीनिग की जाती है। वहीं गांव में आशा भी युवाओं को सीएचसी व पीएचसी पर लेकर जाती है। इसमें महिला और पुरुष में पांच बीमारी की स्क्रीनिग की जाती है। इसमें मुंह का कैसर, स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुंह का कैंसर, बीपी, शुगर आदि बीमारी की स्क्रीनिग होती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखे, तो हर साल शुगर और बीपी के लक्षण वाले मरीज बढ़े हैं। इस दौरान स्क्रीनिग में लक्षण मिलने पर मरीजों को जांच की जाती है। वहीं जांच में बीमारी मिलने पर मरीजों का इलाज शुरू किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो 2017-18 में 6388 शुगर, 9217 बीपी और 2019-20 में शुगर के 11910 और बीपी के 17610 लोगों में बीमारी के लक्षण मिले हैं। इतने लोगों की होनी थी स्क्रीनिग
जिले में 470395 महिला और पुरुषों की तीन साल में स्क्रीनिग करने का लक्ष्य मिला था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग 2019 तक 435451 पुरुष और महिलाओं की स्क्रीनिग कर सका है। वहीं स्क्रीनिग में बीमार मिलने वाले लोगों का इलाज चल रहा है। महिलाओं में स्तन कैंसर के ज्यादा मिले लक्षण
स्वास्थ्य विभाग ने तीन साल में महिलाओं की स्क्रीनिग की गई। इसमें हर साल स्तन कैंसर से ग्रस्त महिलओं का ग्राफ बढ़ा है। इसमें 2017-18 में 88, 2018-19 में 86 और 2019-20 में 125 महिलाओं में स्तन कैंसर के लक्षण मिले है। इसमें महिलाओं की जांच के बाद इलाज शुरू किया। -------------
एनसीडी प्रोग्राम में महिला और पुरुषों की स्क्रीनिग की जाती है। वहीं स्क्रीनिग में बीमारी के लक्षण मिलने पर इलाज शुरू कर दिया जाता है।
डा. संगीता गोयल, डिप्टी सिविल सर्जन, स्वास्थ्य विभाग