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अल्ट्रासाउंड कमरे पर ताला, एक्स-रे के लिए दो घंटे का इंतजार और हड्डी रोग विशेषज्ञ कुर्सी से रहे गायब

जागरण संवाददाता, अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में ही स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा छावनी के नागरिक अस्पताल में ही स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर लंबी छुट्टी जाने के बाद पिछले एक सप्ताह से अल्ट्रासाउंड कमरे के बाहर ताला लगा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग किसी दूसरे रेडियोलॉजिस्ट का अभी तक इंतजाम नहीं कर पाया है। इसी कारण रोजाना 60 से 70 सामान्य और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बिना अल्ट्रासाउंड करवाएं ही वापस जाना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 01:43 AM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 01:43 AM (IST)
अल्ट्रासाउंड कमरे पर ताला, एक्स-रे के लिए दो घंटे का इंतजार और हड्डी रोग विशेषज्ञ कुर्सी से रहे गायब
अल्ट्रासाउंड कमरे पर ताला, एक्स-रे के लिए दो घंटे का इंतजार और हड्डी रोग विशेषज्ञ कुर्सी से रहे गायब

जागरण संवाददाता, अंबाला

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छावनी के नागरिक अस्पताल में ही स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर लंबी छुट्टी जाने के बाद पिछले एक सप्ताह से अल्ट्रासाउंड कमरे के बाहर ताला लगा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग किसी दूसरे रेडियोलॉजिस्ट का अभी तक इंतजाम नहीं कर पाया है। इसी कारण रोजाना 60 से 70 सामान्य और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बिना अल्ट्रासाउंड करवाएं ही वापस जाना पड़ रहा है। सोमवार को जब दैनिक जागरण टीम ने अस्पताल में हालातों का जायजा लिया तो एक-दो नहीं बल्कि काफी दिक्कतें सामने आई। ओपीडी में डेढ़ से दो घंटे तक दो हड्डी रोग विशेषज्ञ कमरे से गायब रहे और पीछे से मरीज दर्द में कराहते रहे। इसके अलावा एक्स-रे करवाने के लिए भी मरीजों की खासी भीड़ नजर आई। हालात यह थे कि महज एक रेडियोग्राफर होने के कारण मरीजों को एक्स-रे करवाने के लिए दो घंटे तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।

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फोटो 16

एक महीने की छुट्टी पर डॉक्टर

नागरिक अस्पताल में केवल एक ही रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर ललित कार्यरत है। लेकिन बीती 3 अक्टूबर से वह 27 अक्टूबर तक लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। ऐसे में तब से लेकर अल्ट्रासाउंड कमरे के बाहर ताला लटका हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अंबाला शहर जिला नागरिक अस्पताल में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट को छावनी में अस्थाई तौर पर नियुक्त किया लेकिन अभी तक उन्होंने यहां ज्वाइन ही नहीं किया है। ऐसे में रोजाना मरीजों को बिना टेस्ट के ही बैरंग लौटकर निजी क्लीनिक या अस्पतालों में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही हैं।

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फोटो 20 व 22

एक रेडियोग्राफर के कंधों पर 100 से अधिक एक्स-रे का भार

इसी तरह से अस्पताल में एक्स-रे करने के लिए तीन स्वीकृत पद है लेकिन लंबे समय से यहां केवल एक ही कर्मी तैनात है। रोजाना एक कर्मी को ही 100 से 120 तक एक्स-रे करने पड़ रहे हैं। सोमवार को तो हालात यह थे कि मरीजों को अपना एक्स-रे करवाने के लिए भी करीब दो से ढाई घंटे तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। मरीज भी कर्मियों पर बार-बार अपने चहेतों का बिना नंबर के ही एक्स-रे करने के आरोप लगा रहे थे। वहीं मरीजों को बाहर बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियां तक कम पड़ गई और मरीजों को नीचे फर्श पर बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ा। जब तक यहां दो से तीन रेडियोग्राफर नहीं आ जाते, तब तक इसी तरह दिक्कतों का सामना मरीजों को करना पड़ेगा।

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फोटो 17, 18

काफी देर सीट से गायब रहे हड्डी रोग विशेषज्ञ

वहीं ओपीडी ब्लॉक में ग्राउंड फ्लोर में भी मरीजों का खासी भीड़ नजर आई। सबसे अधिक भीड केवल हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के पास चेकअप करवाने के लिए आई हुई थी। सोमवार को यहां एक ही कमरे में रोजाना की तरह दो डॉक्टरों की ड्यूटी थी। लेकिन काफी देर तक यह दोनों डॉक्टर अपने कमरे से ही गायब रहे। जब पूछताछ की गई तो पता चला कि दोनों डॉक्टर यहां ओपीडी में सैकड़ों मरीजों को छोड़कर आप्रेशन थियेटर में गए हुए है। वहीं कमरे में तैनात कर्मी भी मरीजों के कार्ड बाहर बेंच पर रखकर अंदर किसी अन्य युवक के साथ अंदर ही बैठा रहा। करीब साढ़े 11 बजे दोनों डॉक्टर वापस आए तो एक दम मरीजों की दरवाजे पर काफी भीड़ लग गई। इस दौरान कई मरीज तो चेकअप नहीं होने के कारण दर्द से कराहते नजर आए।

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फोटो 19

स्ट्रेचर पर कर रहा हूं इंतजार

मेरे पैर में कुछ दिन पहले चोट लग गई थी। आज डॉक्टर को चेक करवाना था इसलिए सुबह 9 बजे ही अस्पताल में आ गए थे। लेकिन काफी देर से डॉक्टर कमरे में नहीं होने के कारण स्ट्रेचर पर इंतजार करना पड़ रहा है।

जगमोहन, मरीज

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कंप्यूटर कर्मी ने गलत पर्ची काटी

हाथ में चोट लग हुई थी। डॉक्टर ने एक्स-रे करवाने के लिए कहा था। लेकिन जब खिड़की पर एक्स-रे की पर्ची बनवाई तो कंप्यूटर कर्मी ने हाथ के बजाए पैर की पर्ची लिखकर दे दी। जब एक्स-रे करवाने पहुंचा तो कर्मी ने गलत पर्ची काटने की बात बताई। दोबारा लाइन में लगकर पर्ची कटवानी पड़ी।

अंकित कुमार, मरीज।


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