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निर्धारित फेरे कवर न कर पाने पर लक्ष्य से पिछड़ी रोडवेज की लॉरी, करोड़ों की चपत

निर्धारित फेरे कवर न कर पाने से रोडवेज की लॉरी (बस) लक्ष्य से पिछड़ रही है। यह खुलासा महाराणा प्रताप अन्तरराज्यीय बस अड्डा (आइएसबीटी) दिल्ली की रिपोर्ट से हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 09:49 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 09:49 AM (IST)
निर्धारित फेरे कवर न कर पाने पर लक्ष्य से पिछड़ी रोडवेज की लॉरी, करोड़ों की चपत
निर्धारित फेरे कवर न कर पाने पर लक्ष्य से पिछड़ी रोडवेज की लॉरी, करोड़ों की चपत

सुरेश सैनी, अंबाला शहर

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निर्धारित फेरे कवर न कर पाने से रोडवेज की लॉरी (बस) लक्ष्य से पिछड़ रही है। यह खुलासा महाराणा प्रताप अन्तरराज्यीय बस अड्डा (आइएसबीटी) दिल्ली की रिपोर्ट से हुआ है। फेरे कम होने से विभाग को हर माह करोड़ों रुपये की चपत लग रही है। आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा रोडवेज की बसों को कुल 14,864 फेरे लगाने थे, जबकि बसें 10027 फेरे ही लगा पाई।

पानीपत की बात करें तो डिपो ट्रिप कवर करने में सबसे फिसड्डी रहा है और 654 फेरे छोड़े हैं। दूसरे नंबर पर अंबाला डिपो है जिनकी बसों ने 578 चक्कर छोड़े हैं। दूसरी तरफ, चंडीगढ़ व चरखी दादरी ने सबसे कम 34 फेरे छोड़े हैं। फिलहाल यह 16 दिन की रिपोर्ट तैयार की है। अगर यही स्थिति रही तो यात्रियों को आने वाले दिनों में अन्य वाहनों पर पूर्णरूप से निर्धारित रहना पड़ सकता है। बता दें कि रोडवेज का एक महीने का करीब तीन करोड़ का टर्नओवर है। प्रदेश में 25 रोडवेड डिपो हैं, जिनका प्रतिमाह 90 करोड़ टर्नओवर है। अकेले अंबाला डिपो की एक दिन की आमदनी 12 लाख रुपये है। इसके बावजूद डिपो की बसें टॉरगेट के मुताबिक ट्रिप को कवर नहीं कर पा रहीं। इसका खामियाजा यात्रियों को उठाना पड़ रहा है। बसों के फेरे कम होने से यात्री परेशान

रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 3484 बसें हैं। इनमें से 3100 बसें ऑनरूट हैं, जिनमें रोजाना 16 लाख यात्री सफर करते हैं। प्रदेश में 14000 बसों की जरूरत है। रोडवेज का एक साल का एक अरब आठ करोड़ टर्नओवर है, बावजदू इसके यात्रियों को सर्विस न मिलने से दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। ऐसे में यात्रियों को प्राइवेट तथा मैक्सी कैब वाहनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। बसों की संख्या बढ़ाने के लिए रोडवेज की सातों यूनियनों की तरफ से कई बार प्रदेश सरकार को लिखित तौर पर अवगत करवाया जा चुका है, परंतु सिवाय आश्वासन के कुछ नहंी मिला। पूर्व में परिवहन मंत्री रहे कृष्ण पंवार ने हर साल एक हजार बसें बढ़ाने का आश्वासन दिया था। इन्होंने दी बेहतर सुविधा

रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ व चरखी दादरी डिपो ने सबसे कम 34-34 फेरे छोड़े हैं यानी ये दोनों डिपो यात्रियों को सुविधा देने में सबसे आगे रहे हैं। यहीं नहीं रेवाड़ी डिपो ने भी यात्रियों को बेहतर सुविधा दी है। डिपो ने अभी तक 36 फेरों को छोड़ा है। यदि अन्य डिपो भी बसों के चक्कर को बढ़ाए तो यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सकती है। कितना था टारगेट, कितना किया पूरा

डिपो टारगेट ट्रिप मिस

अंबाला 886 578

चंडीगढ़ 464 34

पंचकूला 416 189

करनाल 768 412

जींद 304 111

कैथल 576 119

सोनीपत 1536 252

यमुनानगर 736 78

दिल्ली 1632 468

कुरुक्षेत्र 704 173

पानीपत 1072 654

गुड़गांव 432 156

नूह 320 110

रोहतक 320 128

हिसार 480 218

रेवाड़ी 736 36

भिवानी 496 77

चरखी दादरी 256 34

सिरसा 432 83

फरीदाबाद 512 209

पलवल 224 66

फतेहाबाद 352 222

झज्जर 752 360

नारनौल 448 70 रोडवेज की सभी यूनियनें राज्य में बसों की संख्या बढ़ाने की मांग करती आ रही हैं। बसों की संख्या कम होने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। प्रदेश में जनसंख्या लगातर संख्या बढ़ रही है, परंतु बसों की संख्या बढ़ने की बजाय घट रही है। मौजूदा समय में 16 लाख यात्री रोडवेज में सफर करते हैं, इस हिसाब से 14000 बसों की जरूरत है।

-जयवीर घणघस, प्रधान, रोडवेज कर्मचारी यूनियन। मैने आज ही कार्यालय में प्रवेश किया है। किसी भी सूरत में यात्रियों को परेशान होने नहीं दिया जाएगा। प्रदेश में बसों की संख्या को बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा बसों के फेरों को बढ़ाया जाएगा।

- मूलचंद शर्मा, परिवहन मंत्री


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