पहले एमएलआर से बचती रही खाकी बाद में किया खेल, डॉक्टर के पूछने पर बाल बंदी बोले-पुलिस ने मारा
बाल सुधार गृह में बाल बंदियों से हुई मारपीट के तीसरे दिन एमएलआर कटवाने से पुलिस बचती रही। मारपीट के करीब 64 घंटे बाद पुलिस 30 बाल बंदियों को लेकर जिला नागरिक अस्पताल पहुंची। इनमें से 5-6 बाल बंदियों को उतारकर ट्रामा सेंटर ले जाया गया। मौके पर मौजूद डाक्टर ने एमएलआर काटने की बात कही। इस पर पुलिस ने इंकार करते हुए कहा कि इनका ऐसे ही इलाज कर दो। एमएलआर नहीं कटवाना। मौके पर ही पुलिस अपने साथ एक सरकारी डाक्टर को भी लेकर पहुंची थी। उसने भी ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर से बिना एमएलआर के इलाज करवाने की सिफारिश की लेकिन डाक्टर ने नियमों का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की कोताही न बरतने की बात स्पष्ट रूप से कह दी। लिहाजा पुलिस सभी बाल बंदियों को बिना इलाज दिलाए वापस ले गए।
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
बाल सुधार गृह में बाल बंदियों से हुई मारपीट के तीसरे दिन एमएलआर कटवाने से पुलिस बचती रही। मारपीट के करीब 64 घंटे बाद पुलिस 30 बाल बंदियों को लेकर जिला नागरिक अस्पताल पहुंची। इनमें से 5-6 बाल बंदियों को उतारकर ट्रामा सेंटर ले जाया गया। मौके पर मौजूद डाक्टर ने एमएलआर काटने की बात कही। इस पर पुलिस ने इंकार करते हुए कहा कि इनका ऐसे ही इलाज कर दो। एमएलआर नहीं कटवाना। मौके पर ही पुलिस अपने साथ एक सरकारी डाक्टर को भी लेकर पहुंची थी। उसने भी ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर से बिना एमएलआर के इलाज करवाने की सिफारिश की लेकिन डाक्टर ने नियमों का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की कोताही न बरतने की बात स्पष्ट रूप से कह दी। लिहाजा पुलिस सभी बाल बंदियों को बिना इलाज दिलाए वापस ले गए। हालांकि 2 बाल बंदियों का सुबह के समय एमएलआर करवाया गया और उनके एक्सरे भी हुए। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे पुलिस सभी को वापस ले गई। जिनके एक्सरे हुए उनमें हड्डी टूटी नहीं पाई गई। केवल मांस फटा हुआ और सूजन ही पाई गई।
शाम पौने पांच बजे फिर बाल बंदियों को लेकर अस्पताल पहुंची पुलिस
दोपहर को खाली हाथ लौटने और मामले को तूल पकड़ा हुए देख पुलिस शाम करीब पौने 5 बजे फिर से बाल बंदियों को लेकर ट्रामा सेंटर पहुंची। आइओ सुलतान सिंह उनके साथ थे। लेकिन अब 12 बाल बंदियों को पुलिस अपने साथ लेकर आई थी। इस बार एमएलआर तो कटवा ली गई लेकिन इसमें खेल कर दिया गया। पुलिस ने एमएलआर के लिए लिखी गई एप्लीकेशन में लिखा कि बाल बंदी आपस में झगड़ रहे थे। झगड़े में ही उन्होंने एक दूसरे को चोटें मार दी। मौके पर मौजूद एक डाक्टर ने जब एप्लीकेशन पढ़ी तो बाल बंदियों से पूछ लिया कि क्यों मारा तुमने एक दूसरे को। इस पर बाल बंदी बोले सर हमने नहीं मारा हमें तो जनाबों (पुलिस) ने मारा है। इस तरह पुलिस ने पूरा केस ही पलट दिया। करीब सवा छह बजे तक बाल बंदियों की डाक्टर ने एमएलआर काटी। शेष को तीसरे दिन भी उपचार नसीब नहीं हुआ। जिनके एमएलआर काटे गए हैं उनके मंगलवार को एक्सरे होंगे।
पिटाई वाले दिन रात साढ़े 11 बजे दिया खाना
बाल बंदियों ने अस्पताल में अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि शुक्रवार रात उन्हें बेरहमी से न केवल पीटा गया बल्कि खाना भी उस रात समय से नहीं दिया गया। रोजाना शाम को 5 से साढ़े छह बजे तक आमतौर पर खाना मिल जाता है लेकिन उस रात ऐसा नहीं हुआ। बाल बंदियों को उस दिन पिटाई के करीब चार घंटे बाद रात करीब साढ़े 11 बजे खाना दिया गया। एक तो पिटाई का दर्द ऊपर से भूख दोनों ने बाल बंदियों को तड़पाए रखा।
जुडिशियल मजिस्ट्रेट पहुंचे बाल सुधार गृह, उन्होंने भी की पूछताछ
जुडिशियल फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट भी सोमवार को बाल सुधार गृह पहुंचे। बताया जा रहा है कि उन्होंने करीब एक बजे वहां पहुंचकर एक-एक बाल बंदी से अलग-अलग पूछताछ की। इस दौरान भी बाल बंदियों ने पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठा दिया। ऐसे में अब आस जग गई है कि बाल बंदियों को न्याय मिलेगा और उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
पुलिस अधिकारियों ने बात करनी नहीं समझी लाजमी
इस बारे में जब एसपी और डीएसपी हेडक्वार्टर से बातचीत का प्रयास किया गया तो उनके मोबाइल फोन पर घंटे बजती रहती लेकिन फोन नहीं उठाया।
वर्जन
4-5 बाल बंदियों को लेकर पुलिस सुबह के समय आई जरूर थी लेकिन मैंने एमएलआर काटने की बात कही थी। क्योंकि बिना एमएलआर के हम उपचार शुरू नहीं कर सकते। एमएलआर कटवाने से पुलिस ने इंकार कर दिया और सभी को वापस ले गए।
-डॉ. दीप्ति गर्ग