झूठे गुरुओं को धन देने से नहीं होगा कल्याण, मां-बाप की सेवा सबसे बढ़ा पुण्य
शिवलिग पर जल चढ़ाते हो और मां बाप को एक गिलास पानी नहीं देते। अपने बच्चों को छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए तरसाते हो और झूठे गुरुओं को धन चढ़ाते हो।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : शिवलिग पर जल चढ़ाते हो और मां बाप को एक गिलास पानी नहीं देते। अपने बच्चों को छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए तरसाते हो और झूठे गुरुओं को धन चढ़ाते हो। तो आपका कल्याण कोई नही कर सकता। माया बहुत बड़ी ठग है। इस सृष्टि के पांच ठग हैं। लेकिन गुरु भक्त का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। राधास्वामी दिनोद के सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने गांव बलाना में यह बात कही। वह राधा स्वामी सत्संग दिनोद के 53वें शाखा आश्रम का शुभांरभ करते हुए उपस्थित साध संगत को सत्संग दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वो भूमि पाक पवित्र और भाग वाली होती है जहां संतों का समागम और सत्संग होता है। कलयुग में एतबार और विश्वास नहीं है । सच्चा आदमी भी डगमगा जाता है । हर जीव जीते जी भी और मर कर काम आते हैं । लेकिन इंसान के मरने के बाद उसका कुछ भी काम नहीं आता । फिर भी हम नहीं समझते कि जब तक सांस हैं तब तक हम ऐसा काम कर जाएं जिससे समाज का भी भला हो।
प्रसंग सुनाकर संतोष की दी सीख
एक प्रसंग सुनाते हुए सेठ ने अपने लेखाकार को बुलाया और पूछा कि मेरे पास कितना धन है । लेखाकार ने कहा कि आपके पास सात पीढ़ी का धन है । सेठ को चिता हो गई कि मेरी आठवीं पीढ़ी का क्या होगा । सेठ एक महात्मा के पास गया। महात्मा ने उसे शहर के बाहर एक झोपड़ी में रहती एक बुढि़या के पास भेज दिया। सेठ बुढि़या के पास एक बोरी गेंहू लेकर गया। बुढि़या ने कहा कि इसका मैं क्या करूंगी, मेरे पास आज का आटा है । बार-बार कहने पर भी बुढि़या ने वो बोरी नहीं रखने दी । सेठ को ज्ञान हो गया। उसने सोचा कि ये बुढि़या कितनी संतोषी है । उन्होंने कहा कि अगर हम अपने आप को सतगुरु की शरण में लगा दें तो हमारे सारे संशय मिट जाएंगे।