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गरीबी में ख्वाब बुनकर आगे बढ़ रही ये बेटियां, छात्राओं को बना रही मार्शल

तीनों बेटियां गरीब परिवारों से हैं, लेकिन हौसले के दम पर ख्वाब बुनकर उसे हासिल करने का प्रयास कर रही हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 06 May 2018 10:43 AM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 08:53 PM (IST)
गरीबी में ख्वाब बुनकर आगे बढ़ रही ये बेटियां, छात्राओं को बना रही मार्शल
गरीबी में ख्वाब बुनकर आगे बढ़ रही ये बेटियां, छात्राओं को बना रही मार्शल

अंबाला शहर [उमेश भार्गव]। शक न कर मेरी हिम्मत पर, मैं ख्वाब बुन लेती हूं टूटे धागों को जोड़कर....। ये पंक्तियां अंबाला शहर से सटे गांवों की तीन बेटियों पर सटीक बैठ रही हैं। ये बेटियां मार्शल आर्ट में दक्ष हैं और अब अपने जैसी अन्य बेटियों को मार्शल बना रही हैं। मनप्रीत, हरप्रीत और मोनिका ये नाम हैं उन तीन बेटियों के, जिनका ख्वाब पुलिस में भर्ती होकर समाजसेवा का है।

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इन तीनों में से एक सरकारी स्कूल में पढ़ रही है तो दूसरी ने जलबेहड़ा के गवर्नमेंट सीसे स्कूल से 12वीं कक्षा की परीक्षा दी है। तीसरी बीएससी सेकेंड ईयर में है। बेहद गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाली तीनों बेटियां अब सरकारी स्कूलों के साथ गांव में बच्चियों को बिना कोई फीस लिए मार्शल आर्ट (कराटे) की ट्रेनिंग देती हैं।

जलबेहड़ा गांव की मनप्रीत कौर के पिता का निधन हो चुका है और मां ने भैंस पाली है। उसका दूध बेचकर जो भी आमदनी होती है उसी से बेटी और बेटे का गुजर बसर कर रही है। मोखा की हरप्रीत कौर ने 12वीं कक्षा की परीक्षा दी है। उसकी मां पोल्ट्री फार्म में अंडे चुनने का काम करती हैं। सौंडा गांव की मोनिका के पिता भी मजदूरी करते हैं।

थाइलैंड जाने में परेशानी आई पर दूर हो गई

थाइलैंड में इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप के लिए अंडर-18 वर्ग में वर्ष 2017 में हरप्रीत और मनप्रीत ने क्वालीफाई किया। थाइलैंड की टिकट के लिए 30-30 हजार रुपये व अन्य खर्च मिलाकर कुल 1.10 लाख रुपये की जरूरत थी। पासपोर्ट भी नहीं बने थे। इस पर अंबाला बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर डॉ. प्रतिभा सिंह ने विधायक व तत्कालीन डीसी प्रभजोत सिंह के पास पहुंचकर दोनों बेटियों की स्थिति से अवगत कराया।

विधायक की सिफारिश पर मंत्री कविता जैन ने दोनों बेटियों को 51 हजार व 21 हजार रुपये मंत्री कंवरपाल ने दिए। स्कूली स्टाफ ने हरप्रीत को 15 हजार दिए। सरपंचों ने पांच-पांच हजार की मदद की। दोनों थाइलैंड खेलने गई। हरप्रीत ने सिल्वर मेडल जीता। नेशनल में तीनों ही सहेलियां गोल्ड हासिल कर चुकी हैं। तीनों बेटियों का कहना उन्हें यहां तक पहुंचने में जो दिक्कतें आई वह दूसरी लड़कियों को न आएं इसीलिए वह सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षण दे रही हैं।

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