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भारत-पाक बंटवारे की रेखा हजारों लोगों की देह से गुजरी

42वें इंटर जोनल युवा महोत्सव में देश के विभाजन पर आधारित करीब 28 मिनट के नाटक ने दर्शकों को झंझोर कर रख दिया। कैथल के आरकेएसडी कॉलेज ने दर्शाया कि हिदुओं और सिखों की बस्ती पर मुसलमानों ने कब्जा किया तो एक सिख परिवार भारत आने के लिए निकल पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 07:30 AM (IST)
भारत-पाक बंटवारे की रेखा हजारों लोगों की देह से गुजरी
भारत-पाक बंटवारे की रेखा हजारों लोगों की देह से गुजरी

जागरण संवाददाता, अंबाला : 42वें इंटर जोनल युवा महोत्सव में देश के विभाजन पर आधारित करीब 28 मिनट के नाटक ने दर्शकों को झंझोर कर रख दिया। कैथल के आरकेएसडी कॉलेज ने दर्शाया कि हिदुओं और सिखों की बस्ती पर मुसलमानों ने कब्जा किया तो एक सिख परिवार भारत आने के लिए निकल पड़ा। चारों ओर दंगे हो रहे थे, हाथों में तलवार लिए एक समुदाय दूसरे समुदाय के लोगों को मौत के घाट उतार रहे थे। अपने बीवी बच्चों को लेकर सिख बचता बचाता हुआ एक गुरुद्वारे में पहुंचता है। वहां भी दंगाइयों के आने के कारण वह स्टेशन की तरफ भागते हैं। जहां पहले ही चारों ओर कत्ले आम चल रहा था। चारों ओर चीख पुकार के इस दृश्य ने दर्शकों सहित जजों को भी झंझोर कर रख दिया। जैसे-तैसे वह ट्रेन के ऊपर सवार हो जाते हैं। लेकिन अपनों को खोने का गम सभी के चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रहा था। कुछ ही दूर पहुंचकर पिता अपने दो मासूम बच्चों को देखता है तो एक की मौत हो चुकी होती है। गम में पिता इस कद्र टूट जाता है कि साथ के लोग उसे संभलते हैं। तभी रावी नदी आने पर साथी उसे सलाह देते हैं कि मर चुके बच्चे को कहां लेकर जाएगा, अच्छा होगा कि तुम इसे नदी में फेंक दो। इस बीच वह अनजाने में अपने मरे बच्चे की जगह जो बच्चा सो रहा था उसे ही उठाकर नदी में फेंक देता है। जैसे ही पिता को पता चलता है कि जिदा बच्चा ही नदी में फेंक दिया तो पूरा पंडाल ही चीखों से गूंज उठता है। आखिर में पिता अवतार कोसता है कि आखिर बंटवारा करके क्या मिला और नाटक की समाप्ति हो जाती है। दर्शकों ने तालियों के साथ कलाकारों का स्वागत किया और उनकी प्रस्तुति को सराहा। इसी तरह शाहबाद के एमएन कॉलेज से आई टीम ने प्यार के बदले मजहब बदलवाने पर कटाक्ष करता हुआ नाटक प्रस्तुत किया। दर्शाया कि एक हिदू मुसलमान की लड़की से प्यार तो कर बैठता है, परंतु उसे पाने के लिए उसे मुसलमान बनने पर मजबूर कर दिया जाता है। कुछ समय बाद हिदू उसे अपने धर्म में वापस परिवर्तित कर देते हैं। दो मजहबों के बीच वह परिवार फंस जाता है। आखिर में मुसलमान लड़की ही सुसाइड कर लेती है। तब लड़का हिदू व मुसलमान दोनों धर्मो को त्याग कर चला जाता है। संदेश देते है कि हमें मिलजुल कर रहना चाहिए।

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