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रेलवे स्टील घोटाला : तीस अफसरों से पूछताछ में अंडरवेट स्टील की परतें खुलीं, सीबीआइ मौन

जम्मू से उधमपुर के बीच में हुए विद्युतीकरण प्रोजेक्ट में सामान गायब होने की सीबीआइ जांच कर रही है। दस अधिकारियोंं सहित कांट्रेक्टर पर एफआइआर दर्ज है पर गिरफ्तारी एक की भी नहीं हुई

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 02:23 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 02:23 PM (IST)
रेलवे स्टील घोटाला : तीस अफसरों से पूछताछ में अंडरवेट स्टील की परतें खुलीं, सीबीआइ मौन
रेलवे स्टील घोटाला : तीस अफसरों से पूछताछ में अंडरवेट स्टील की परतें खुलीं, सीबीआइ मौन

अंबाला [दीपक बहल]। जम्मू से उधमपुर के बीच रेलवे विद्युतीकरण प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपयों के घोटाले की जांच में सीबीआइ ने अंबाला, जम्मू और दिल्ली के करीब तीस अधिकारियाें से पूछताछ की। इसी पूछताछ में जम्मू से कटरा तक विद्युतीकरण में पटरी किनारे लगे खंभों में अंडरवेट स्टील का भी खुलासा हुआ है, लेकिन इस पर अभी तक सीबीआइ ने अंडरवेट को लेकर संदेह के घेरे में फंसे किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

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सीबीआइ ने अब तक रेलवे बोर्ड के रिटायर्ड इलेक्ट्रिकल मेंबर, महाप्रबंधक और नामजद दस अधिकारियों, कांट्रेक्टस सहित अन्य को जम्मू बुलाकर पूछताछ की। इसी पूछताछ में रेलवे के कुछ अधिकारियों ने पटरी किनारे लगे खंभों के अंडरवेट स्टील का भी खुलासा किया है। यहां तक कि अंडरवेट स्टील इसी सेक्शन में नहीं बल्कि देश के कई रेलवे प्रोजेक्टों में हुआ है।

इन पर दर्ज हुई है एफआइआर

सीबीआइ जम्मू ने कांट्रेक्टर सहित दस लोगों के खिलाफ जुलाई 2019 में एफआइआर दर्ज की थी। यह एफआइआर नीरज गुप्ता डिप्टी सीईई, अनिल कुमार श्रीवास्तव डिप्टी सीईई अंबाला, आनंद कुमार सीनियर सेक्शन इंजीनियर, कश्मीरी लाल एएफएसओ, मोहम्मद शरीफ आफिस सुपरिंटेंडेंट, विनोद कुमार पराशर सीनियर डब्ल्यूए, अनिल श्रीवास्तव सीनियर एसओ, राकेश अरोड़ा एएफए, दिनेश कुमार पराशर एसएसई, सतीश सुधाकर क्वालिटी इंजीनियर के अलावा मैसर्ज क्वालिटी इंजीनियर्स एंड कांट्रेक्टर्स के मालिक सहित अन्य पर दर्ज की गई है।

दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरों की कटिंग।

यह है मामला

दैनिक जागरण ने घोटाले का पर्दाफाश किया था। पहले इसकी जांच आरपीएफ ने की और बाद में मामला सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया गया। रेलवे ने सन् 2010 में जम्मू-उधमपुर विद्युतीकरण का प्रोजेक्ट मुंबई की क्वालिटी इंजीनियर्स कंपनी को दिया था। अंबाला छावनी स्थित चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने टेंडर अलाट किया था। रेलवे अफसरों ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर टेंडर की कीमत 11 करोड़ कर दी थी, जबकि यह कार्य 8, 22,75,617 में ही पूरा हो गया था।

टेंडर की कीमत बढ़ाने से कंपनी को फायदा मिलता रहा, क्योंकि टेंडर की कीमत के मुताबिक ही रेलवे कंपनी को राशि जारी करता रहा। इस प्रोजेक्ट में रेलवे की ओर से कंपनी को दिया गया कॉपर, स्टील के स्ट्रक्चर आदि का अतापता नहीं है। इसी जांच में रेल अफसरों ने अंडरवेट होने की भी बात सीबीआई के सामने रखी, लेकिन अभी तक अंडरवेट स्टील को लेकर सीबीआइ की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं नहीं आई।


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