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NGT के आदेशों के बाद रेलवे सक्रिय, पर्यावरण संरक्षण के लिए 720 स्टेशनों को लेनी होगी NOC

एनजीटी के आदेशों के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए 720 रेलवे स्टेशनों को एनओसी लेनी होगी। इस संबंध में एनजीटी के आदेशों के बाद रेल मंत्रालय ने सभी मंडलों को इस संबंध में बता दिया है। उन्हें एजीटी की गाइडलाइन पर काम करना होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 10:10 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 10:10 AM (IST)
NGT के आदेशों के बाद रेलवे सक्रिय, पर्यावरण संरक्षण के लिए 720 स्टेशनों को लेनी होगी NOC
पर्यावरण संरक्षण के लिए 720 स्टेशनों को एनओसी लेनी होगी। रेलवे स्टेशन की फाइल फोटो।

अंबाला [दीपक बहल]। अब पर्यावरण बचाने के लिए रेलवे को भी अपनी अहम भूमिका निभानी होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों पर देश के 720 स्टेशनों के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेनी होगी। चार कैटेगिरी में बांटे गए स्टेशनों में अंबाला रेल मंडल में अंबाला, चंडीगढ़ सहित नौ स्टेशनों को भी शामिल किया गया है।

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रेल मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश सभी जोन को भेज दिए हैं। मंडल अधिकारियों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेने के लिए कवायद शुरू कर दी है। स्टेशन पर किन-किन नियमों का पालना करना होगा, इसके बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इनको नियम बताएगा। इसी के तहत स्टेशनों पर व्यवस्थाएं बनानी होंगी। इस संबंध में द नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रिंसिपल ब्रांच नई दिल्ली में याचिका दायर की गई थी।

करीब छह साल तक चले इस केस के बाद हाल ही में एनजीटी का फैसला आया है। कैग की रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लिया गया था। देश में करीब छह हजार रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें से फिलहाल 720 स्टेशनों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी होगी। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने 36 स्टेशनों को एक्शन प्लान के लिए चुना, जिनमें से 14 स्टेशनों पर काफी खामियां पाई गई थीं। स्टेशनों पर गंदे पानी को ठीक से डिस्पोज नहीं किया जा रहा था। सीपीसीबी ने एक्शन प्लान और इसकी पालना में काफी अंतर पाया था।

स्टेशनों पर ये काम करवाने होंगे

नार्दर्न रेलवे मुख्यालय बड़ौदा हाउस ने उत्तर रेलवे के डीआरएम को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दी है। इसमें बताया गया कि एनजीटी के आदेशों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें बताया गया था कि एयर एक्ट, वाटर एक्ट, वेस्ट मैनेजमेंट के तहत काम करना है। इसी तरह वाटर बैलेंस शीट तैयार करनी होगी, जिसमें फ्रेश वाटर खपत, वेस्ट वाटर मैनेजमेंट कैसे होगा व इसका इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाना, गीला और सूखा कूड़े का निस्तारण किया जाना है, प्लास्टिक बोतलों को क्रश करने (इस्तेमाल लायक न रहे) की मशीन लगानी होगी, ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए व्यवस्थाएं बनानी हैं।


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