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मैंने अभिनंदन से कहा- टारगेट लॉक, हिट और दुश्मन का विमान तबाह, जानें- कौन है ये जांबाज

Balakot Air Strike युद्ध सेवा मेडल प्राप्त करने जा रही भारत की पहली महिला सैन्य अधिकारी हैं स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 10:09 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 08:29 AM (IST)
मैंने अभिनंदन से कहा- टारगेट लॉक, हिट और दुश्मन का विमान तबाह, जानें- कौन है ये जांबाज
मैंने अभिनंदन से कहा- टारगेट लॉक, हिट और दुश्मन का विमान तबाह, जानें- कौन है ये जांबाज

दीपक बहल, अंबाला। बीती 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने सीमापार एयर स्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था। इस अभियान में बतौर पाथ फाइंडर और फाइटर कंट्रोलर बेहद अहम भूमिका निभाने वालीं भारतीय वायुसेना की युवा स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस पर युद्ध सेवा मेडल प्रदान किया जाएगा। यह गौरव हासिल करने वाली वह देश की पहली महिला बनने जा रही हैं। वायुसेना के सौजन्य से आयोजित विशेष साक्षात्कार में मिंटी ने कहा- दुश्मन विमानों को सीमा पर आते देख मुझे लगा मानो इसी क्षण के लिए मैंने एयरफोर्स ज्वाइन की है और देश के लिए मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।

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बालाकोट एयर स्ट्राइक
26 को बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद 27 को पाकिस्तानी वायुसेना को मुंहतोड़ पटखनी देने वाले गौरवशाली क्षणों के बारे में मिंटी और उनके परिजनों से हमने विशेष बातचीत की। मिंटी का परिवार हरियाणा के अंबाला शहर में रहता है। पिता रिटा. ऑनरेरी फ्लाइंग ऑफिसर रवींद्र अग्रवाल, बड़े भाई अरविंद अग्रवाल और पति राहुल गुप्ता सहित मिंटी की सासु, भाभी और हर रिश्तेदार, हर नागरिक उनके इस पराक्रम पर गर्व का अनुभव कर रहा है। पिता रवींद्र कहते हैं, ‘बिटिया ने मेरा सीना चौड़ा कर दिया है...।’ भाई अरविंद और पति राहुल भी मिंटी की सूझबूझ और मानसिक दृढ़ता की तारीफ करते नहीं थकते। कहते हैं मिंटी ने सभी को गर्व से भर दिया है। अरविंद के हवाले से मिंटी ने कहा, मैं अपनी सासु मां और भाभी को भी श्रेय देना चाहूंगी, जिनके प्रोत्साहन और सहयोग से मैं देश के लिए अपने दायित्व की सफलतापूर्वक पूर्ति कर सकी। मेरी मां आज जीवित होतीं तो वे भी बहुत खुश होतीं...।

इस तरह लड़ा युद्ध...
मिंटी ने बताया कि फाइटर कंट्रोल यूनिट वायुसेना की अग्रिम पंक्ति है। देश की हवाई सीमा की निगरानी यही करती है। न केवल निगरानी बल्कि हवाई लड़ाई की स्थिति में रडार स्क्रीन पर एक-एक विमान की पॉजिशन और गतिविधि के अनुरूप त्वरित रणनीति तैयार कर अपने युद्धक विमानों को दिशानिर्देश देना बेहद जिम्मेदारी भरा काम है। 26 और 27 को मैं इस यूनिट की उत्तरी कमांड का नेतृत्व कर रही थी। 26 को एयर स्ट्राइक के बाद हम पूरी तरह सजग थे कि यदि पाकिस्तान की ओर से पलटवार किया गया तो उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे। हुआ भी यही। 27 की सुबह मैं अपने निगरानी कक्ष में तैनात थी। रडार स्क्रीन पर मैंने जल्द ही भांप लिया कि करीब 25 पाकिस्तानी लड़ाकू विमान हमारी ओर बढ़ रहे हैं। कुछ ही पलों में मैं आश्वस्त हो चुकी थी कि इनका रुख श्रीनगर की ओर है और हम पर हवाई हमला होने जा रहा है। मैंने तुरंत अलार्म दे दिया। सबसे पहले श्रीनगर में तैनात तीन युद्धक विमानों को दुश्मन विमानों की लोकेशन बताते हुए उनका रास्ता रोका गया। अन्य जगहों पर भी हमारे लड़ाकू विमान अलर्ट मोड में थे। उन्हें भी पाकिस्तानी विमानों की लोकेशन बताते हुए सहायक दिशानिर्देश दिए। कुछ ही पलों में दुश्मन विमानों और हमारे विमानों के बीच हवाई लड़ाई शुरू हो चुकी थी। हम उन पर भारी पड़े। हमारे लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी विमानों को बम गिराने का मौका न देते हुए खदेड़ना शुरू कर दिया।

मेरा काम दो स्तर पर था...
मिंटी ने बताया, ‘मेरा काम दो स्तर पर था। एक, अपने पायलटों को दुश्मन विमानों की सटीक लोकेशन मुहैया कराना और समन्वित रणनीति तैयार करना, ताकि दुश्मन पर जल्द काबू पाया जा सके। दूसरा, इससे पहले कि हमें दुश्मन कोई नुकसान पहुंचाए, उसे ढेर कर देना। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान अपने मिग-21 बायसन लड़ाकू विमान से दुश्मन के दो एफ-16 विमानों का पीछा कर रहे थे। मैं उन्हें दुश्मन विमानों की सटीक लोकेशन दे रही थी। जल्द ही वह क्षण आया जब मैंने कहा- टारगेट लॉक... हिट...। अभिनंदन ने मिसाइल दाग दी और पल भर में दुश्मन का विमान आग के शोलों में तब्दील हो गया। इसके बाद दूसरे विमान को निशाने पर लिया गया, लेकिन इस बीच अभिनंदन का विमान सीमा के पार जा पहुंचा। मैंने उन्हें वापस मुड़ने का संकेत दिया, पर ठीक उसी समय वे सीमा पार उस रेंज में प्रवेश कर गए, जहां जैमर लगे होने के कारण तकनीकी संपर्क टूट गया। कुल मिलाकर आधे घंटे से भी कम समय में हमने दुश्मन को खदेड़ दिया था, वह भी अपने इलाके में बिना कोई बड़ा नुकसान उठाए...।’

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मानो इसी एक क्षण की मुझे प्रतीक्षा थी...
सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण कौन सा था, इस पर मिंटी ने कहा, ‘जब मैंने रडार स्क्रीन पर मिल रहे संकेतों से यह भांपा कि अनेक दुश्मन विमान हम पर हमला करने को बढ़ रहे हैं। बिना चिंतित हुए दृढ़ संकल्प लिया कि अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दूंगी। यही वह वक्त है जिसके लिए मैं एयरफोर्स में भर्ती हुई हूं...। और जब दुश्मन विमान पर टारगेट लॉक करने के बाद उसे हिट करने (विध्वंस) का संकेत दिया। ऐसा लगा मानो इसी एक क्षण की मुझे प्रतीक्षा थी। किसी भी क्षण चुनौती जैसा कुछ नहीं था, क्योंकि एयरफोर्स में शामिल होने के बाद मैं ऐसी किसी भी चुनौती के लिए हर पल तैयार थी।’

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