52 साल में ¨प्रट से अधिक दाम वसूलने वाले किसी भी दुकानदार पर नहीं लगा जुर्माना
नापतोल विभाग का खुद बिगड़ा हुआ है हिसाब-किताब, लुट रहे उपभोक्ता, आज तक बिना चपरासी और चौकीदार और क्लर्क के चला रहा काम, उपभोक्ता संरक्षण के दावे लेकिन न सरकारी मोबाइल नंबर न जांच के लिए गाड़ी
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
आज बेशक देश में डिजिटल क्रांति आ गई है लेकिन एक ऐसा विभाग भी है जो समय से 52 साल पीछे चल रहा है। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया यह विभाग खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। न अपनी इमारत, न सरकारी गाड़ी और न ही सरकारी मोबाइल नंबर। नाप तोल विभाग की स्थिति कुछ ऐसी ही है। यही नहीं, आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी में कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं। गौरतलब है कि 1966 से जिला नापतोल विभाग अस्तित्व में आ गया था। यहां बड़ी बात यह है कि विभागीय इतिहास में आज तक ¨प्रट रेट से अधिक मूल्य पर वस्तु बेचने वाले किसी भी दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। जबकि, अंबाला में करीब 17 हजार दुकानें नापतोल विभाग के अधीन आती हैं। इन सभी पर चे¨कग के लिए एक इंस्पेक्टर जिले में तैनात है। हरियाणा बनने से आज तक नहीं नसीब हुई खुद की बि¨ल्डग
वर्ष 2013 से छावनी में शास्त्री कॉलोनी स्थित स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आवास कार्यालय से महज 10 कदम की दूरी पर खंडहर भवन में सहायक नियंत्रक विधिक माप विज्ञान विभाग, निरीक्षण माप विज्ञान अंबाला वन और अंबाला टू विभाग चल रहे हैं। इससे पहले घी गोदाम में करीब 15 साल तक विभाग चला। इससे पहले महेश नगर में विभाग संचालित होता था। अलग राज्य के रूप में हरियाणा के अस्तित्व में आने से आज तक यह विभाग किराए के भवनों में ही संचालित होता रहा। वर्तमान स्थिति यह है कि जिस भवन में यह विभाग चल रहा है वह कभी भी धराशायी होकर बड़े हादसे का सबब बन सकता है। लुट रही जनता, नींद में सरकार
केवल एक ही इंस्पेक्टर होने के कारण जिले के हालात यह हैं कि ¨प्रट मूल्य से अधिक दाम पर वस्तुओं को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। 33 रुपये मूल्य वाली कोल्ड ¨ड्रक 35, 70 वाली 75 में बिक रही है। दूध की थैली पर भी हर दुकानदार एक रुपये अधिक वसूली कर रहा है। रोजाना जिले में 20 से 22 हजार लीटर थैली बंद दूध की खपत होती है। एक थैली आधा लीटर की होती है। इस तरह दूध पर ही 40 से 44 हजार रुपये तक की कमाई रोजाना अवैध रूप से उपभोक्ताओं से की जा रही है। दुकानदारों के भी हौसले बुलंद हैं क्योंकि उनपर लगाम कसने वाला विभाग खुद नींद में है। किसे और किस नंबर पर करें शिकायत
आरटीआइ के तहत दी गई जानकारी में नापतोल विभाग ने माना है कि उनके पास कोई सरकारी मोबाइल नंबर और गाड़ी नहीं है। हालांकि, कार्यालय में लैंडलाइन नंबर जरूर सरकार ने उपलब्ध कराया है लेकिन चौकीदार, चपरासी और क्लर्क नहीं होने से फोन नहीं उठा पाता। अधिकारियों का तर्क है कि वे अक्सर फील्ड में होते हैं, इसलिए लैंडलाइन से फोन उठाना संभव नहीं होता। क्या है जुर्माने का प्रावधान
एक्ट के अनुसार ¨प्रट रेट से अधिक दाम वसूलने पर यानी एक रुपये भी यदि कोई उपभोक्ता से प्रकाशित मूल्य से अधिक लेता है तो विभाग दुकानदार पर 2 हजार से 10 हजार तक का जुर्माना लगा सकता है।
मिठाई के साथ डिब्बे का वजन तोलने, कम वजन पर वस्तु तोलने पर 25 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। पिछले तीन साल में विभाग द्वारा की गई रिकवरी
साल वेरिफिकेशन और जुर्माना
2015 83 लाख
2016 85 लाख
2017 98 लाख
2018 50 लाख अब तक नापतोल विभाग के इंस्पेक्टर कमल सरीन का कहना है कि ¨प्रट रेट से अधिक मूल्य पर वस्तु बेचने वालों पर अभी तक जुर्माना नहीं लग सके हैं। हालांकि, डिब्बे के साथ मिठाई और कम वस्तु तोलने पर हमने कई बार जुर्माना लगाया है। यदि किसी को शिकायत करनी है तो हमारे लैंडलाइन नंबर 0171-2610155 नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकता है। ऐसा नहीं है कि फोन नहीं उठता। दरअसल, हम ज्यादातर फील्ड में ही रहते हैं और क्लर्क व चपरासी हमारे पास हैं नहीं, इसीलिए फोन नहीं उठ पाता। सरकारी मोबाइल नंबर हमें नहीं दिया गया।