आज तक महिला के सिर नहीं सजा बार की प्रधानगी का ताज
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अवतार चहल, अंबाला शहर: जहां एक ओर ग्राम पंचायतों में 50 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। वहीं बुद्धिजीवी
वर्ग में महिलाओं के सामने बड़ी चुनौती है। जिसके चलते आज तक किसी भी महिला के सिर पर जिला बार एसोसिएशन के प्रधान का ताज नहीं सज पाया है। जबकि जिला बार एसोसिएशन को बने हुए 51 साल हो चुके हैं और अब तक महज आठ महिलाओं को ही बार एसोसिएशन में पद मिला है। हालांकि पिछले लगभग चार साल से कार्यकारिणी सदस्य का एक पद महिलाओं के लिए आरक्षित हुआ है।
जिला बार एसोसिएशन अंबाला की आजादी से भी पहले की है। लेकिन एसोसिएशन का रजिस्ट्रेशन 1971 से ही हुआ था। जिसे 51 साल हो चुके हैं। इतने साल बीतने के बाद भी प्रधान पद का वर्चस्व पुरुष वकीलों के पास ही रहा है। इस साल भी प्रधान पद के लिए तीन वकील मैदान में उतरे हैं, लेकिन इस पद पर किसी महिला ने नामांकन तक भी नहीं किया है। पिछले साल बार चुनाव में एक महिला वकील ने बतौर सेक्रेटरी पद पर चुनाव लड़ा था तो उस दौरान काफी मेहनत की थी, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई थी।
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प्रमुख पदों पर रहीं महिलाएं
1971-72 में किरण बाला जैन सेक्रेटरी
1990-91 में ज्वाइंट सेक्रेटरी सूरज रशमी शर्मा
1992-93 में ज्वाइंट सेक्रेटरी अलका शारधा
2000-01 में सेक्रेटरी अनु चौहान
2004-05 में ज्वाइंट सेक्रेटरी नम्रता गौड़
2006-07 में वाइस प्रेजिडेंट कुलवंत कौर
2007-08 में ज्वाइंट सेक्रेटरी राधिका बतरा
2016-17 में ज्वाइंट सेक्रेटरी रजनी चौहान
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मुख्य पद पर भी मिले मौका: आरती शर्मा
आरती शर्मा ने बताया कि कार्यकारिणी में एक पद महिला सदस्य के लिए आरक्षित है, जिस पर महिलाओं को मौका मिल जाता है। जबकि महिला के लिए एक पद मुख्य पदों में से भी होना चाहिए।
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मेहनत के बावजूद कम मिलते वोट: रजनी चौहान
रजनी चौहान ने बताया कि महिलाओं ने चुनाव को लेकर काफी प्रयास किए हैं। लेकिन उतनी मेहनत के बावजूद उतने वोट नहीं मिले हैं। क्योंकि सभी यह सोचते हैं कि महिलाएं जरूरत पड़ने पर उनके साथ कैसे खड़ी हो सकेंगी।
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चुनाव में हिस्सा लें महिला वकील: संजना
संजना ने बताया कि महिला वकीलों को इसमें हिस्सा लेना चाहिए। जब अन्य कामों में महिलाएं पीछे नहीं हैं। जब कोर्ट में केस लड़ सकती हैं तो चुनाव में हिस्सा लेने से क्यों पीछे रहना।