अब इंडस्ट्री और वाहनों का धुआं करेगा पर्यावरण को प्रदूषित
लॉकडाउन वन और टू में जहां अंबाला की आबोहवा सुधर गई थी वहीं अब राहत मिलने के साथ उद्योगों व वाहनों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को जहरीला बना देगा। यानी फिर से उन्हीं हालातों की ओर बढ़ रहे हैं जहां प्रदूषण का स्तर काफी था। जिस तरह से इंडस्टरी को राहत मिली है उसी तरह सड़कों पर वाहनों की संख्या भी बढ़ने लगी है। यही स्थिति पर्यावरण को नुकसान करेगी और लोगों की सेहत पर असर डालेगी। पर्यावरण विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में जैसे जैसे राहत मिलेगी उसी तरह पर्यावरण में जहरीला धुआं अपना असर बढ़ाएगा।
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- लॉकडाउन में सुधरे हालातों के बाद अब फिर से पर्यावरण में घुलने लगा जहर
- जैसे-जैसे लॉकडाउन में राहत मिलेगी, उसी तरह प्रदूषण का स्तर भी अब बढ़ेगा जागरण संवाददाता, अंबाला
लॉकडाउन वन और टू में जहां अंबाला की आबोहवा सुधर गई थी, वहीं अब राहत मिलने के साथ उद्योगों व वाहनों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को प्रदूषित कर देगा। यानी फिर से उन्हीं हालातों की ओर बढ़ रहे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर काफी था। जिस तरह से इंडस्ट्री को राहत मिली है, उसी तरह सड़कों पर वाहनों की संख्या भी बढ़ने लगी है। यही स्थिति पर्यावरण को नुकसान करेगी और लोगों की सेहत पर असर डालेगी। पर्यावरण विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में जैसे-जैसे राहत मिलेगी, उसी तरह पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाएगा। यह थी स्थिति
लॉकडाउन से पहले 20 मार्च को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 125 था। लेकिन लॉकडाउन के पहले हफ्ते में ही 30 मार्च को एक्यूआइ लेवल सुधकर 46 हो गया। इसी तरह 10 अप्रैल को यह आंकड़ा 48 रहा, जबकि 20 अप्रैल को 59 रहा। इसी तरह 30 अप्रैल को एक्यूआइ 86, तो 29 मई को यह आंकड़ा 47 रिकॉर्ड किया गया है। लॉकडाउन में जिस तरह से सख्ती की गई थी, उसने प्रदूषण का स्तर काफी नीचे किया था। राहतों के साथ बिगड़ेगा एक्यूआइ
लॉकडाउन फोर में कई राहतें सरकार ने दी हैं। उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए जहां छूट दी, वहीं सड़कों पर काफी संख्या में वाहन चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक्यूआइ लेवल और बढ़ेगा, जिससे प्रदूषण होगा। पर्यावरण विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अभी तक पर्यावरण को लेकर जो स्थिति थी, वह काफी नियंत्रण में रही है। लेकिन जैसे-जैसे जनजीवन पटरी पर आएगा, उसी तरह यह आंकड़ा भी बढ़ेगा। इस तरह समझें कैसे है खतरा
एक्यूआइ को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है। यदि एक्यूआइ 50 तक रहता है तो यह सेहत के लिए काफी अच्छा है। इसी तरह यह आंकड़ा यदि 51 से 100 के बीच है, तो कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। एक्यूआइ यदि 101 से 200 के बीच रहे, तो अस्थमा, हार्ट के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आ सकती है, 201 से 300 के बीच खराब स्थिती है। जिसमें लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। 301-400 आने पर अत्यधिक खराब स्थिति मानी जाती है। इसके बाद 401-500 एक्यूआइ की स्थिति सबसे खराब स्थिति रहती है, जहां बीमार लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है साथ ही स्वस्थ्य व्यक्ति को भी बीमार कर देती है। फोटो नंबर :: 7ए
लॉकडाउन में बेशक प्रदूषण की स्थिति में काफी सुधार आया है। लेकिन जैसे-जैसे वाहनों, फैक्ट्रियों का धुआं सहित निर्माण कार्य तेजी पकड़ेंगे, उसी तर्ज पर प्रदूषण बढ़ेगा। खासकर खेती के बाद यदि फसल के अवशेष जलाए जाते हैं, तो यह और तेजी से स्थिति को खराब करेगा।
- प्रो. डा. सुरेश देसवाल, पर्यावरण विशेषज्ञ