डेढ़ दशक बाद आइडीडीसी हारट्रोन और साइंस इंडस्ट्री में जान फूंकने की तैयारी
विदेशों तक अपने साइंस उपकरणों के लिए प्रसिद्ध अंबाला की साइंस इंडस्ट्री को चीन से कंपीटिशन करना पड़ रहा है। इससे यह इंडस्ट्री नुकसान उठा रही है जबकि चीन लगातार इस मामले में अपनी जगह तेजी से बनाता जा रहा है। अब आइडीडीसी हारट्रोन और अंबाला की साइंस इंडस्ट्री में करीब डेढ़ दशक के बाद जान फूंकने की तैयारी चल रही है।
कुलदीप चहल, अंबाला
विदेशों तक अपने साइंस उपकरणों के लिए प्रसिद्ध अंबाला की साइंस इंडस्ट्री को चीन से कंपीटिशन करना पड़ रहा है। इससे यह इंडस्ट्री नुकसान उठा रही है, जबकि चीन लगातार इस मामले में अपनी जगह तेजी से बनाता जा रहा है। अब आइडीडीसी हारट्रोन और अंबाला की साइंस इंडस्ट्री में करीब डेढ़ दशक के बाद जान फूंकने की तैयारी चल रही है। इसके लिए कागजी खाका तैयार किया जा रहा है। करीब 15 साल के बाद इंस्ट्रूमेंट डिजाइन एंड डेवलपमेंट सेंटर (आइडीडीसी) हारट्रोन और साइंस कारोबारी एक मंच पर आए हैं। इससे यह माना जा रहा है कि अंबाला की साइंस इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा। इसके अलावा मिक्सी, एग्रो इंडस्ट्री में काम करने वाले कारोबारी भी इससे काफी फायदा उठा सकते हैं। हालांकि मामला अभी प्रथम चरण में है, लेकिन जिस तरह से यह कदम उठाया गया है, उससे साइंस कारोबारियों में भी उम्मीदें बंधी हैं। इसी को लेकर प्रिसिपल सेक्रेट्री और हारट्रोन के चेयरमैन अंकुर गुप्ता ने कारोबारियों से बातचीत की। उल्लेखनीय है कि अंबाला में साइंस कारोबार से जुड़ी करीब 1200 छोटी बड़ी इकाइयां हैं।
यह थी 80 के दशक में स्थिति
अंबाला में आइडीडीसी हारट्रोन (तत्कालीन) सेंटर साइंस सहित अन्य इंडस्ट्री को तकनीकी रूप से सशक्त बनाती थी। इस दौरान अंबाला की साइंस इंडस्ट्री का देश ही नहीं विदेशों तक सामान सप्लाई होता था, लेकिन सन 2000 के बाद तो स्थिति काफी बदल गई, जबकि आइडीडीसी हारट्रोन को भी अपग्रेड नहीं किया गया। यही कारण रहा कि साइंस कारोबारियों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा। मौजूदा स्थिति यह है कि चीन ने इस इंडस्ट्री में प्रवेश करते हुए काफी बढ़त बना ली।
आइडीडीसी से इस तरह से मिलता था फायदा
साइंस कारोबारियों के लिए तकनीकी रूप से आईडीडीसी हारट्रोन मदद देता था। आप्टिक के फील्ड में अंबाला में बेहतर काम होता था और कई सालों तक यह चलता रहा। अब इसके लिए कारोबारियों चंडीगढ़ और देहरादून के चक्कर काटने पड़ते है। इसी तरह इलेक्ट्रोप्लेटिग यूनिट भी खत्म हो गया, जो अब तक शुरू नहीं हो पाया। इसी सेंटर में उपकरणों की टेस्टिग और गुणवत्ता की परख भी की जाती रही है।
दो बड़े प्रोजेक्ट नहीं चढ़े सिरे
अंबाला की साइंस इंडस्ट्री में दो बड़े प्रोजेक्ट आज तक सिरे नहीं चढ़ पाए हैं। कांग्रेस सरकार में बने साइंस कलस्टर और टूल रूम सेंटर की योजना ठंडे बस्ते में चली गई। यह दोनों योजनाएं साइंस कारोबारियों के लिए वरदान साबित होती, लेकिन योजनाएं कागजों में ही उलझकर रह गई।
यह हो सकता है फायदा
इस मीटिग के बाद इंडस्ट्री से डाटा आदि मांगा गया है, जिसके बाद आगामी खाका तैयार किया जाएगा। इससे आप्टिक, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रोप्लेटिग यूनिट्स में काफी फायदा होगा। इसका लाभ साइंस, मिक्सी, एग्रो इंडस्ट्री को होगा।
यह कहते हैं कारोबारी
लंबे समय बाद यह मीटिग हुई है, जबकि जिस तरह से बातचीत हुई है उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। आइडीडीसी हारट्रोन को यदि अपग्रेड करते हैं तो काफी फायदा होगा। खासकर आप्टिक के फील्ड में सेंटर का काफी अनुभव भी रहा है। इस को लेकर इंडस्ट्री की डिमांड और अन्य डाटा मांगा गया है, जो दिया जाएगा।
- संजय गुप्ता, प्रधान असीमा, अंबाला।
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कभी आइडीडीसी साइंस इंडस्ट्री के लिए संजीवनी की तरह काम करता था। एक दौर ऐसा भी आया, जब सब कुछ हाशिये पर चला गया। मीटिग में नहीं जा पाया, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले समय में कुछ फायदा अवश्य होगा।
- चरणजीत सिंह, साइंस कारोबारी अंबाला।
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काफी सालों से इस इंडस्ट्री से जुड़ा हूं और आइडीडीसी भी काफी मददगार साबित हुआ है। यदि आईडीडीसी हारट्रोन को और सुविधाएं दी जाती हैं, तो इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद होगा।
- मंजीत सिंह, साइंस कारोबारी, अंबाला। समय - 8:22 बजे