बराड़ा में दशहरे पर 100 फुट ऊंचे रावण के पुतले का होगा दहन
बराड़ा को विश्व में ख्याति दिलाने व पांच बार लिम्का बुक आफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले श्रीराम लीला क्लब बराड़ा द्वारा तीन वर्षो के बाद एक बार फिर बराड़ा में रावण के पुतले के दहन का कार्यक्रम तैयार किया गया है। क्लब अबकी बार 100 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन 15 अक्टूबर करेगा।
संवाद सहयोगी, बराड़ा : बराड़ा को विश्व में ख्याति दिलाने व पांच बार लिम्का बुक आफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले श्रीराम लीला क्लब बराड़ा द्वारा तीन वर्षो के बाद एक बार फिर बराड़ा में रावण के पुतले के दहन का कार्यक्रम तैयार किया गया है। क्लब अबकी बार 100 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन 15 अक्टूबर करेगा।
क्लब संस्थापक तेजेंद्र चौहान के अनुसार कोरोना महामारी और बराड़ा में मैदान की उपलब्धता न होने की वजह से अभी रावण के पुतले के दहन का कोई इरादा नहीं था, लेकिन कस्बेवासियों के दवाब के कारण उन्होंने इस बार एक बार फिर रावण के पुतले के दहन का कार्यक्रम बनाया है। उन्होंने बताया कि कस्बेवासियों द्वारा बार-बार इस महोत्सव को शुरू करने की अपील की जा रही थी। क्लब द्वारा 14 अक्टूबर को क्रेन की सहायता से 100 फुट ऊंचे रावण के पुतलें को खड़ा किया जाएगा।
श्रीराम लीला क्लब संस्थापक तेजेंद्र चौहान ने बताया कि क्लब द्वारा अबकी बार 100 फुट ऊंचे पुतले का दहन करने का निर्णय लिया गया है। यह 100 फुट ऊंचा रावण के पुतले का रंग रूप 221 फुट ऊंचे रावण के पुतले जैसा ही होगा। पुतले के निर्माण में 24 फीट लंबे बांस के 300 पीस प्रयोग किए गए हैं जिनका वजन लगभग 15 क्विंटल है। इसके अलावा पुतले को बनाने में छह क्विंटल लोहा, 300 मीटर कपड़ा, 70 किलो रस्सी व सुतली, चेहरा बनाने के लिए फाइबर गलास 1 क्विंटल, मैट 250 मीटर का प्रयोग किया गया है। पुतले का कुल वजन लगभग 22 क्विटल है। इसको बनाने के लिए एक माह से कारीगर कार्य कर रहे हैं। 2018 में शिफ्ट करना पड़ा था रावण का पुतला
क्लब प्रधान राणा तेजेंद्र चौहान ने बताया कि 2018 में रावण के पुतले को पंचकूला लेकर जाना उनके दिल पर पत्थर रखने के सामान था, लेकिन सरकार व स्थानीय प्रशासन से सहयोग न मिलने के कारण उनको यह फैसला लेना पड़ा। चौहान ने बताया कि वह पिछले कई वर्षो से बराड़ा में दशहरा ग्राउंड की मांग करते आ रहे थे, मगर स्थानीय प्रशासन ने पिछले कई वर्षो से दशहरा आयोजन में अड़ंगा अड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी के चलते उन्होंने वर्ष 2018 में दशहरा महोत्सव का आयोजन करने से तौबा कर ली थी।