चंडीगढ़ -दिल्ली रूट : मौजूदा पुलों पर नहीं दौड़ सकती हाई स्पीड ट्रेनें
चंडीगढ़ -दिल्ली रेल मार्गपर फिलहाल हाई स्पीड ट्रेनें चलने की उम्मीद नहीं है। इसमें सबसे बड़ी बाधा इस रूट पर बने रेलवे पुल हैं। फ्रांसीसी विशेषज्ञाें की टीम ने इन पुलोें का निरीक्षण किया है। टीम के अनुसार,इन पुलों से 200 किमी की रफ्तार से ट्रेनें नहीं गुजारी जा सकतीं।
अंबाला, [दीपक बहल] । चंडीेगढ़-नई दिल्ली के बीच हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के सपने को साकार होने में अभी वक्त लगेगा। इस रूट पर बने रेलवे पुलों पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अभी ट्रेनें नहीं दौड़ाई जा सकती हैं। मौजूदा रेल पुलों की डिजाइन के मुताबिक इन पर से हाई स्पीड ट्रेन का गुजरना मुमकिन नहीं है। फिलहाल 160 किलोमीटर की रफ्तार से ही ट्रेन दौड़ाई जा सकती है। यह तथ्य फ्रांसीसी विशेषज्ञों की टीम ने इस रूट के रेल पुलाें के निरीक्षण के दौरान उजागर किया।
फ्रांसीसी टीम ने दिल्ली से चंडीगढ़ तक 38 पुलों का किया मुआयना
फ्रांस की रेलवे टीम ने दिल्ली से चंडीगढ़ तक 38 मेजर रेलवे पुलों का निरीक्षण किया है। यह टीम इनको अपग्रेड करने में कितना खर्चा आएगा और ये कैसे अपडेट होंगे इसकी रिपोर्ट देगी। पुलों के अलावा अलग-अलग ब्रांच के विशेषज्ञ सर्वे कर यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि हाई स्पीड दौड़ाने में पुलों के अलावा और क्या-क्या बाधा आ सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, फ्रांसीसी सर्वे में स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा रेल पुलों पर हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए पुलों का गार्डर या फिर नींव को मजबूत करना होगा। पुलों की डिजाइन से स्पष्ट हो गया कि हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए पुलों पर काफी खर्च करना होगा। फ्रांसीसी टीम ने भारतीय रेल अधिकारियों के साथ इन पुलों का निरीक्षण किया। पुल कब बने और मौजूदा समय इनकी स्थिति क्या है, इसको लेकर अधिकारियों से सवाल जवाब भी किए गए।
यहां बता दें कि दिल्ली से चंडीगढ़ तक करीब 600 पुल और करीब 50 कर्व हैं। इसके अलावा ट्रैफिक, सिग्नल, ट्रेनों की संख्या, पटरी की क्वालिटी, मुसाफिरों की संख्या, कवर आदि का डाटा एकत्रित कर फीजिकल सर्वे पहले चरण का आरंभ कर दिया है। एक साल के सर्वे के बाद तय होगा कि प्रोजेक्ट पर कितना खर्च होगा। रेल मंत्रालय तय करेगा कि इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना है या नहीं।
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अक्टूबर 2015 में हुआ था एग्रीमेंट
फ्रांस और भारत के बीच 9 अक्टूबर, 2015 को पचास-पचास फीसदी सर्वे में होनी वाली भागीदारी का एग्रीमेंट हो चुका है। खाके के मुताबिक, दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच दौड़ रही ट्रेनों की स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा करने के लिए एक साल तक सर्वे होगा। तीन चरण में होने वाले सर्वे का पहला चरण चार माह तक, जबकि दूसरे चरण में छह माह और अंतिम यानी की तीसरे चरण में दो माह तक होगा।
इसमें भारतीय रेलवे को 12 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा उठाना पड़ेगा। सर्वे का काम आरंभ होने पर रेलवे बीस फीसद, दूसरे चरण का सर्वे होने पर पचास फीसद, जबकि तीसरे चरण में 30 फीसद पेमेंट जारी करेगा।
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इन पुलों का किया गया निरीक्षण
नई दिल्ली से चंडीगढ़ तक के बीच सोनीपत, पानीपत, करनाल कुरुक्षेत्र, अंबाला और चंडीगढ़ के बीच इन पुलों का निरीक्षण किया गया है।
9, 13ए, 18ए, 26ए, 27ए, 4ए, 54, 57ए, 71एए, 79, 149, 176, 196, 208, 227, 229, 233, 234, 237, 237ए, 238, 240ए, 240बी, 244, 247, 248, 249, 252, 259, 259ए, 260, 262, 270बी, 232, 233, 237