Move to Jagran APP

सीबीआइ का कसा शिकंजा, अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की हरी झंडी

दीपक बहल, अंबाला: हरिद्वार से अमृतसर के बीच दौड़ने वाली जन शताब्दी एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रे

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 May 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 14 May 2017 03:00 AM (IST)
सीबीआइ का कसा शिकंजा, अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की हरी झंडी
सीबीआइ का कसा शिकंजा, अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की हरी झंडी

दीपक बहल, अंबाला: हरिद्वार से अमृतसर के बीच दौड़ने वाली जन शताब्दी एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन सहित रेलवे स्टेशनों पर

loksabha election banner

प्रचार-प्रसार के टेंडरों में छह करोड़ के घोटाले में अंबाला रेल मंडल के वाणिज्य शाखा प्रबंधक (डीसीएम) पूनम चंद डूडी सहित पांच अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। रेलवे बोर्ड ने इन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति सीबीआइ को दे दी है। यह मामला वर्ष 2008 से 2012 के बीच का है। इसमें तय से अधिक समय के लिए विज्ञापन कंपनी के विज्ञापन ट्रेनों और स्टेशनों के परिसर में लगे रहे। बता दें कि संदेह के घेरे में फंसे रेल अधिकारी पूनम चंद डूडी पर उत्तर रेलवे के मुख्यालय के अधिकारी भी मेहरबान रहे। फिरोजपुर मंडल में घोटाले में फंसे इस अधिकारी का वहां से तबादला पर अंबाला मंडल में बतौर डीसीएम नियुक्त कर दिया गया। सीधे पब्लिक डी¨लग से जुड़े विभाग की कमान डूडी को सौंपने के बाद मामला सुर्खियों में आ गया था, जिसके बाद उनका अंबाला से भी तबादला कर दिया गया।

2008 में हुआ था टेंडर

वर्ष 2008-09 में फिरोजपुर मंडल में रेलवे क्रा¨सग और स्टेशनों पर विज्ञापन लगाए जाने का टेंडर निकाला था। स्टेशनों के अलावा अमृतसर-अंबाला जन शताब्दी और पैसेंजर ट्रेन को भी शामिल किया गया था। विज्ञापन एजेंसियों को वर्ष 2008 से 2011 तक विज्ञापन लगाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन निर्धारित तीन साल का समय बीत जाने के बावजूद एक साल का और समय बढ़ा दिया गया, जबकि इसका टेंडर सिर्फ तीन साल के लिए ही था। गलत ढंग से अवधि बढ़ाने के कारण रेलवे को एक साल की लाइसेंस फीस का नुकसान हुआ। आरोप लगा विज्ञापन एजेंसियों से मिलीभगत कर रेलवे को 6 करोड़ रुपए की चपत लगा डाली और रुपयों की बंदरबांट हो गई।

विजिलेंस की जांच के बाद पहुंचा सीबीआइ के पास

रेल अधिकारियों ने मामले का दबा दिया था लेकिन दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे विजिलेंस को इसकी भनक लग गई। वर्ष 2013 में विजिलेंस ने जांच की और मामला बड़ा होने कारण सीबीआइ को केस सौंप दिया। जांच के दौरान पाया विज्ञापन एजेंसियों ने जो सिक्योरिटी डिपॉजिट की एफडीआर दी थीं, उन्हें चुपचाप एजेंसियों को वापस लौटा दिया था जबकि नियमानुसार यह रेलवे के लेखा विभाग के पास जमा होनी चाहिए थीं। इसके अलावा विज्ञापन एजेंसियों से एक साल की लाइसेंस फीस भी नहीं ली गई और न ही उसे रेलवे के खाते में जमा करवाया गया। इस मामले में डीसीएम रहे पूनम चंद डूडी, स्टेशन अधीक्षक आरके शर्मा, सीएमआई अर¨वद शर्मा, हेड क्लर्क नरेश कुमार, क्लर्क मोहम्मद याकूब और विज्ञापन एजेंसी पर सीबीआइ ने केस दर्ज किया। मामला रेल अधिकारी से जुड़ा होने कारण सीबीआइ ने कोर्ट में चार्जशीट पेश करने से पहले रेलवे बोर्ड से अनुमति मांगी। चंडीगढ़ सीबीआइ के डीआइजी ने कहा एफआइआर दर्ज की गई थी, चार्जशीट का चेक करके ही बता सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.