महिलाओं ने बच्चों का भविष्य संवारने और खुद के आशियाने के लिए जमा की रकम
महिलाओं ने तमाम उम्मीदें लेकर सहारा फाइनेंस कंपनी में रकम जमा कराई। सोचा था कि जब एक साथ पैसा मिलेगा तो बचों को अछे स्कूल में पढ़ा सकेंगे।
संजू कुमार, अंबाला
महिलाओं ने तमाम उम्मीदें लेकर सहारा फाइनेंस कंपनी में रकम जमा कराई। सोचा था कि जब एक साथ पैसा मिलेगा तो बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकेंगे। साथ ही खुद का घर लेंगे। किसी ने बेटी की शादी करने का सपना संजोया था, लेकिन महिलाओं की सभी उम्मीदें निराशा में बदलने लगी हैं। महिलाओं ने अपने खर्चे को कम किया। साथ ही एक-एक रुपये जोड़कर हर महीने एक हजार रुपये निकाले और सहारा फाइनेंस कंपनी में लगा दिए। अंबाला में करीब ढाई हजार परिवार में ऐसी करीब तीन सौ महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के भविष्य के लिए सपना देखा है। अब फाइनेंस कंपनी समय पूरा होने पर महिलाओं की रकम नहीं दे रही है। ये महिलाएं करीब सालभर से अंबाला के कबाड़ी बाजार चौक पर बने सहारा के सेक्टर ऑफिस में चक्कर काट रही है। उम्मीद है कि पैसे मिलेंगे, तो बच्चों के कामकाज में काम आएगा। लेकिन रकम फिलहाल फंसती नजर आ रही है।
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एजेंटों ने महिलाओं के दिखाए बड़े-बड़े सपने
सहारा फाइनेंस कंपनी में जमाकर्ताओं को पहले बड़े-बड़े सपने दिखाए गए कि पांच साल में उनका पैसे डबल हो जाएगा। इससे अधिक समय के लिए पैसा जमा करोंगे तो तीन गुणा पैसे बढ़ जाएगा, लेकिन महिलाओं को एक रुपया तक नहीं मिला। ऐसे में महिला काफी हताश होने लगी है।
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पैसे मांगने पर कैशियर बोलते है एफडी करा लो
महिलाओं ने बताया कि जब सेक्टर ऑफिस में रकम लेने के लिए जाते है। तो वहां पर कैशियर बोलते है कि इस पैसे का क्या करोंगे। दूसरी एफडी करा लीजिए। पांच साल बाद आपकी रकम और बढ़ जाएगी। लेकिन रकम देने से मना कर देते है।
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पति की रिटायरमेंट के बाद पैसे जमा किए थे, ताकि बच्चों की सही से परवरिश हो सकें। उनकी पढ़ाई में पैसे काम आएगा, लेकिन करीब 2002 से 18-18 लाख रुपये जमा करा चुके है।
प्रेम लता चावला, जमाकर्ता
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सोचा था कि बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाएंगे। साथ ही अपना खुद का मकान होगा। जिसके लिए फाइनेंस कंपनी में तीन-चार लाख रुपये जमा कराए, लेकिन सालभर हो गया पैसे नहीं मिले।
नीलम देवी, जमाकर्ता
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हर महीने एक-एक हजार रुपये जोड़कर जमा किए। वर्ष 2009 से पैसे जमा कर रही हूं। लेकिन समय पूरा हुआ तो पैसे निकालने गई तो मना कर दिया।
नीलम, जमाकर्ता
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मैने पांच साल में 35 से 40 हजार रुपये जमा किए। सोचा था कि एक साथ पैसे मिलेंगे तो बच्चों के काम आएंगे। लेकिन अब अधिकारी पैसे देने से मना कर रहे है।
सोनी, जमाकर्ता।