थमे रहे रोडवेज बसों के पहिए, भटकते रहे यात्री
रोडवेज कर्मचारियों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को शुरू की गई हड़ताल की दूसरे भी दिन भी खासा असर देखने को मिला।
जागरण टीम, अंबाला: रोडवेज कर्मचारियों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को शुरू की गई हड़ताल की दूसरे भी दिन भी खासा असर देखने को मिला। हाइवे ही नहीं लोकल स्तर पर भी लगातार दूसरे दिन भी रोडवेज बसों के पहिए थमे रहे। जहां रोडवेज डिपो पर दिन भर कर्मचारियों ने नारेबाजी की वहीं, नए भर्ती कर्मचारियों को नौकरी का डर भय दिखाने के बाद जीएम डिपो से महज 10 बसें ही निकलवा पाए। इन बसों को भी लंबे रूट पर नहीं चलाया जा सका बल्कि शहर व छावनी के बीच ही घूमती रही। बसों पर कंडक्टर नहीं होने से इन पर लिपिकीय स्टाफ व वर्कशाप के कर्मचारी भी चलते रहे। कहीं टिकटें काटी तो कहीं बिना टिकट काटे ही बसें चलाई गई। जीएम चाहकर भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाए। हालांकि, भारी पुलिस बल तैनता रहा। मुसीबत यह है कि अभी कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल दो दिनों के लिए आगे सरका दी है जिससे मुसीबत बढ़ना तय है।
अंबाला छावनी अंतरराज्यीय बस अड्डे से दिल्ली या चंडीगढ़ के लिए रोडवेज की एक भी बस नहीं निकली। सबसे अधिक दिक्कतों का सामना चंडीगढ़ जाने वाले लोगों को उठाना पड़ रहा है। इसी प्रकार शहर से हिसार रूट पर बसें नहीं चल पाई और सिर्फ प्राइवेट बसों का ही सहारा रहा। लोगों ने 30-30 किलोमीटर के टुकड़ों में सफर तय किया।
बुधवार को भी बस स्टैंड छावनी पर काफी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इस हड़ताल में जहां आम आदमी परेशान है वहीं, रोडवेज को भी करीब 15 लाख का फटका लग रहा है।
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रोडवेज ने करवाई वीडियोग्राफी
बुधवार को बस स्टैंड छावनी सहित रोडवेज डिपो पर रोडवेज अधिकारियों की सुबह से शाम तक वीडियोग्राफी भी करवाई गई। रोडवेज ने उन बसों की वीडियो बनवाई जिन्हें बस स्टैंड से विभिन्न जगहों के लिए रवाना किया गया। इसके अलावा जो बसें रूट पर नहीं चली उनकी भी वीडियोग्राफी करवाई गई ताकि बाद में बस नंबर मुताबिक उनके चालक-परिचालकों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
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क्लर्कों को दिया टिकट काटने का काम
वहीं आधे से अधिक चालक-परिचालक अपनी ड्यूटी पर न जाकर बस स्टैंड के इर्द-गिर्द घूमते रहे। हालांकि जो चालक बसें चलाने के लिए पहुंचे तो उन्हें रूट पर जाने के लिए परिचालक नहीं मिले। ऐसे में रोडवेज अधिकारियों ने आफिस में काम करने वाले कई क्लर्कों को टिकट काटने के लिए बसों में चलता किया ताकि लोगों को कुछ राहत दी जा सके। वहीं दूसरे दिन भी छावनी से शहर जाने वाले विद्यार्थियों के लिए बिना परिचालकों के ही बसें चलाई गई।
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