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छावनी में 500 दुकानों की डेढ़ करोड़ ट्रांसफर फीस फाइलों में दफन

सुनील बराड़, अंबाला : नगर निगम सदर जोन की 500 दुकानों की डेढ़ करोड़ की ट्रांसफर फीस फाइलों में दफन है। इसीलिए मुख्यमंत्री कार्यालय की जांच के बाद कार्रवाई की आंच छावनी में भी पहुंच सकती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 07:39 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 07:39 PM (IST)
छावनी में 500 दुकानों की डेढ़ करोड़ ट्रांसफर फीस फाइलों में दफन
छावनी में 500 दुकानों की डेढ़ करोड़ ट्रांसफर फीस फाइलों में दफन

सुनील बराड़, अंबाला : नगर निगम सदर जोन की 500 दुकानों की डेढ़ करोड़ की ट्रांसफर फीस फाइलों में दफन है। इसीलिए मुख्यमंत्री कार्यालय की जांच के बाद कार्रवाई की आंच छावनी में भी पहुंच सकती है। इससे किरायेदारों में भी हड़कंप मचा है। क्योंकि यहां पर दुकानें न सिर्फ सबलेट हुई हैं बल्कि निगम से बिना ट्रांसफर और अनुमति के बिना ही दुकानों का स्वरूप एक शपथ पत्र पर बदल दिया गया है। इसका नुकसान सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है और किराया न बढ़ पाने से निगम कंगाली के कगार पर भी पहुंच चुका है।

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मुख्यमंत्री कार्यालय से शनिवार को नगर निगम के दो रेंट क्लर्क पर गाज गिर चुकी है। छावनी के मामले में निगम अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है जबकि 500 दुकानें के ट्रांसफर के खेल में अधिकारियों की जेब गरम हो रही है। यदि गांधी मार्केट की बात करें तो यहां 80 में से 45 दुकानों को बिना सबलेट कर दिया गया और स्वरूप बदल कर शोरूम बना दिए गए। कार्रवाई की बजाय निगम अधिकारियों की मेहरबानी हो रही है। निगम के नियमों की सरेआम उल्लंघना की गई है। नगर निगम के संयुक्त आयुक्त सत्येंद्र सिवाच ने बताया कि मामले को चेक किया जाएगा।

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ट्रांसफर के केस पें¨डग

नगर निगम सदर जोन की बात करें तो यहां पर 500 दुकानदारों ने दुकानें ट्रांसफर कराने की फाइलें जमा करा रखी है। यदि निगम प्रशासन इन दुकानों को ट्रांसफर कर देता है तो सरकार के खजाने में एक करोड़ 50 लाख रुपये की बढ़ोतरी होगी। निगम के अधिकारी न तो दुकानें ट्रांसफर कर रहे हैं और न ही नियमों की उल्लंघना होने पर कोई कार्रवाई कर रहे हैं।

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रिकॉर्ड में आज भी नहीं बदला किरायेदार

राय मार्केट में 60 लाख रुपये में एक दुकान बिक रही है। विक्रेता नगर निगम में 10 रुपये के आवेदन पत्र पर100 रुपये का शपथ पत्र में बेच देता है। नियमों के मुताबिक दुकानें ट्रांसफर होनी चाहिए। इसीलिए निगम के रिकॉर्ड में आज भी किरायेदार एक ही व्यक्ति है जबकि एक दुकान दर्जन बार बिक चुकी है।

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स्वरूप से नहीं हो सकती छेड़छाड़

निगम के नियमों के मुताबिक कोई भी दुकानदार दुकानों के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता। यदि उसमें कोई बदलाव करना है तो उसके लिए पहले नगर निगम से अनुमति लेनी होगी। लेकिन यहां तो दुकान को शोरूम में बदल दी गई है।


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