शव देख बिलख पड़ी साली, बोली- तुसी फोन कर दींदे जीजा कि होया सी, अ की कर दित्ता
उमेश भार्गव, अंबाला शहर : नसरौली गांव में एएसआइ गुरदीप ¨सह ने पहले पत्नी सुरेंद्र कौर को 9एमएम की अपनी सर्विस रिवाल्वर से मौत के घाट उतारा और फिर खुद इसी रिवाल्वर से गोली मारकर हत्या कर ली।
उमेश भार्गव, अंबाला शहर : नसरौली गांव में एएसआइ गुरदीप ¨सह ने पहले पत्नी सुरेंद्र कौर को 9एमएम की अपनी सर्विस रिवाल्वर से मौत के घाट उतारा और फिर खुद इसी रिवाल्वर से गोली मारकर हत्या कर ली। मृतक सुरेंद्र कौर की बहन खून से सने अपनी बहन के शव को जमीन पर पड़ा देख विलाप करने लगी। इसके बाद पति सहित खंडहर प्लाट में मंजे पर पड़े अपने जीजा के शव से लिपटकर विलाप करने लगी। विलाप करते हुए उसके मुंह से बस यही निकला तुस्सी की कर दीन्दे जीजा कि होया सी, अ की कर दित्ता (यह क्या कर दिया तुमने, क्या हुआ था कम से कम फोन कर ही बता देते)। उधर मृतक गुरदीप की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल था। बेचारी बसुध सी बैठी थी। पुलिस की पूछताछ पर बोली मैन्नू नी पता कि होया, हां आके मत्था टेका सी (मुझे नहीं पता कि दोनों के बीच क्या हुआ था। हां उसने सुबह के समय मत्था टेका था।) मृतक की मां ने बताया कि वह घटना के समय हवेली में गई थी। गुरदीप ही उसे यह कहता था कि हवेली चले जाया करो। पिता की हो चुकी पहले ही मौत, अकेला ही था वारिस
एएसआइ गुरदीप ¨सह के पिता की कई साल पहले मौत हो गई थी। मां ने गुरदीप ¨सह को बड़े लाड प्यार से पाला था। वही घर का इकलौता वारिस था। अब वह भी नहीं रहा। चौकाने वाली बात यह है कि तीन गोलियां चलने के बाद भी पड़ोसियों तक को इसकी खबर नहीं लगी। गुरदीप ने वारदात को उस समय अंजाम दिया जब घर में कोई नहीं था। तीन बच्चे स्कूल थे और मां हवेली गई थी।
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कमरे में खून से सने मां के शव को देख सहम गए मासूम
दोनों बेटों को समझ नहीं आ रहा था क्यों रो रहे हैं सब
मौसी ने मासूमों को लगा लिया गले, बड़ी बेटी का रो-रोकर बुरा हाल
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली किरणजीत कौर जैसे ही स्कूल से घर लौटी तो घर में लोगों की भीड़ लगी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतने लोग उसके घर क्यूं पहुंचे हैं। इसी दौरान वह अपना बैग रखने के लिए कमरे के भीतर घुसी तो खून से लतपथ मां का शव कमरे में पड़ा था। मां को इस तरह जमीन पर पड़ा देख किरणजीत की चीख निकल गई वह पूरी तरह से सहमी हुई थी। इससे पहले की वह कुछ और सोच पाती उसे बताया गया कि उसके पिता ने भी खुद को गोली मार ली है। इसके बाद किरणजीत भी बेसुध सी हो गई। आंखों से अश्रुधारा लगातार बहे जा रही थी। उधर घर में उसके दोनों छोटे भाई 6 साल का नवराज और 8 साल का जुगराज भी दूसरे लोगों और दादी व बहन को देख वह भी रोने लगे। हालांकि उन्हें नहीं पता था कि क्या हो रहा है और क्यों सब रो रहे हैं। किरणजीत ने दोनों की और देखा और उन्हें संभालना चाहा। इसी दौरान उनकी मासी ने दोनों को अपने सीने से लगा ली। किरणजीत को भी मासी ने दुलारा और चुप कराने का प्रयास किया लेकिन वह चाह कर भी चुप नहीं हो पा रही थी।
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अब बूढ़ी दादी के कंधे कैसे उठाएंगे मासूमों का बोझ
गुरदीप ¨सह की के पिता का पहले ही निधन हो चुका था। बूढी मां को अब केवल गुरदीप का ही सहारा था। पूरा परिवार अच्छे से रस-बस गया था। लेकिन गुरदीप के एक कदम से पूरा परिवार उजड़ गया। फिर से बूढ़ी मां एक बार अकेली रह गई। अब इसी बूढ़ी मां के कंधों पर गुरदीप के तीनों बच्चों का अब केवल उनकी बूढ़ी दादी ही सहारा रह गई है।