पाप हमारा शरीर करता है तो भोगना हमारी आत्मा को पड़ता है: नवल किशोर
निर्मल विहार में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के चौथे दिन बुधवार को कथावाचक नवल किशोर शास्त्री ने कहा कि ये शरीर हमारा न तो था न है और न ही रहेगा अगर हमारा कुछ है तो वो है हमारी आत्मा। इसलिए हम अपने शरीर को संवारने की बजाय अपनी आत्मा को संवारें।
जागरण संवाददाता, अंबाला: निर्मल विहार में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के चौथे दिन बुधवार को कथावाचक नवल किशोर शास्त्री ने कहा कि ये शरीर हमारा न तो था न है और न ही रहेगा, अगर हमारा कुछ है तो वो है हमारी आत्मा। इसलिए हम अपने शरीर को संवारने की बजाय अपनी आत्मा को संवारें।
उन्होंने कहा कि मन को संवारो क्यों कि भगवान निर्मल मन से प्रेम करते हैं अपने मन को निर्मल बनाओ सबसे प्रेम करो। अगर कुछ जोड़ना चाहते हो तो मेरे गोपाल का नाम अपने जीवन में जोड़ो। यही वह धन है जो हमारे समस्त दुखों का नाश कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह कटु सत्य है कि इस शरीर को एक न एक दिन नष्ट होना है लेकिन हमारी आत्मा अजर-अमर है।
उन्होंने कहा कि पाप हमारा शरीर करता है और भोगना हमारी आत्मा को पड़ता है। तो फिर हम ऐसा काम क्यों करें जिससे मृत्यु के पश्चात हमारी आत्मा को कष्ट हो। क्यों न भक्त ध्रुव और भक्त प्रह्लंाद की तरह ऐसी भक्ति करें जिससे मृत्यु के पश्चात हमारी आत्मा इस जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त होकर प्रभु के श्री चरणों की सेवा में विलीन हो जाए।
कथा में कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। सभी भक्तों के बीच कृष्ण जन्म की बधाईयां बांटी गयी। कथा में सभी भक्तों ने कृष्ण भगवान का पूजन किया। इस मौके पर नरेश गुप्ता, राजिद्र अग्रवाल थापुर, रमेश गुगलानी, राकेश, गुरदीप, छूट संजू, बिनु, अंजू, कोमल व अन्य मौजूद रहे।