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जेल में हवालाती की बिगड़ी तबीयत, उपचार के दौरान मौत, परिजनों का हंगामा

एनडीपीएस एक्ट में दो साल से सेंट्रल जेल में बंद हवालाती की सुबह तबीयत बिगड़ गई। उसे दो वाडर्न नागरिक अस्पताल लेकर आए। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे परिजनों ने हंगामा कर दिया। हेड क्वार्टर डीएसपी सदर व बलदेव नगर व महिला थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया लेकिन परिजन न्याय दिलाने की बात पर अड़े रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 10:15 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 10:15 AM (IST)
जेल में हवालाती की बिगड़ी तबीयत,  उपचार के दौरान मौत, परिजनों का हंगामा
जेल में हवालाती की बिगड़ी तबीयत, उपचार के दौरान मौत, परिजनों का हंगामा

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: एनडीपीएस एक्ट में दो साल से सेंट्रल जेल में बंद हवालाती की सुबह तबीयत बिगड़ गई। उसे दो वाडर्न नागरिक अस्पताल लेकर आए। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे परिजनों ने हंगामा कर दिया। हेड क्वार्टर डीएसपी, सदर व बलदेव नगर व महिला थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन परिजन न्याय दिलाने की बात पर अड़े रहे। दोपहर को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आने के बाद परिजनों के बयान दर्ज हुए, जिसके बाद शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।

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दरअसल, 22 नवंबर 2017 के पड़ाव थाना पुलिस को सूचना मिली थी। गांव बोह निवासी जितेंद्र सिंह उर्फ जीती व नत्थु राम इंद्रा चौक अंबाला कैंट की तरफ से रेलवे स्टेशन की तरफ कोई नशीला पदार्थ बेचने के लिए ऑटो में आ रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने बस स्टैंड के सामने ओवरब्रिज के नीचे नाकाबंदी कर दी। इसी दौरान नीले रंग का ऑटो दिखाई दिया। जिसे चेकिग के लिए रोका गया। जांच करने पर उनके पास से चार प्लास्टिक बैग बरामद हुए। जिसपर टेप लगी हुई थी। जांच करने पर वह चरस निकली। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसी मामले में जितेंद्र दो साल से सेंट्रल जेल में हवालाती था। बृहस्पतिवार सुबह तबीयत खराब होने पर अस्पताल लाया गया, यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

परिजनों का आरोप, पुलिस ने बरती लापरवाही

मृतक जितेंद्र के बड़े भाई विनोद व माता कमला का आरोप है जो पुलिस कर्मचारी उनके बेटे के अस्पताल लेकर आए थे, वे बेटे की मौत के बाद उसे यहां अकेला छोड़कर चले गए। यह सारी पुलिस की लापरवाही है। उन्हें यहीं रुकना चाहिए था। विनोद ने कहा कि उसकी पहले भी जेल में तबीयत खराब हो गई थी। इस दौरान उसे दवा दिलवाई नहीं गई, वे खुद जेल में जाकर जितेंद्र को दवा देकर आए थे। विनोद का कहना है कि जितेंद्र ऑटो चलाकर परिवार का पोषण करता था। जिस केस में वह हवालाती था उसमें उसे गलत तरीके फंसाया गया था। उस दौरान जो नशीला पदार्थ पुलिस ने पकड़ा था वह कोई सवारी ऑटो में छोड़कर चली गई थी और पुलिस ने उसे उस केस में पकड़ लिया जोकि गलत था।

यह बोले, पुलिस लाइन के एसआइ

उधर, पुलिस लाइन के एसआइ कृष्ण कुमार ने बताया कि सेंट्रल जेल के दो जेल वार्डन कृष्ण व ओमप्रकाश जितेंद्र के उपचार के लिए नागरिक अस्पताल लेकर आए थे। सूचना मिलने के बाद जब वे अस्पताल पहुंचे तो जितेंद्र के उपचाराधीन था। उसके बाद दोनों कर्मचारी चले गए थे, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

इन्होंने दर्ज करवाए बयान

हंगामे के दौरान ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट याचना पहुंची। यहां उन्होंने पहले परिजनों से बातचीत की। उसके बाद नागरिक अस्पताल के रूम में बयान देने के लिए बुलाया। इस दौरान मृतक के बड़े भाई विनोद व माता कमला ने अपने बयान दर्ज करवाए। यह प्रक्रिया एक घंटे तक चली। बयान दर्ज होने के बाद तीन डॉक्टर्स के पैनल ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।

वर्जन

ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने परिजनों ने अपने बयान दर्ज करवा दिए हैं। जिसके बाद तीन डॉक्टर्स के पैनल ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया है। बाकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

-सुल्तान सिंह, डीएसपी, हेड क्वार्टर।


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