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गंगा सर्वत्र पावन करती श्रीराम कथा : स्वामी कमलानंद

महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि श्रीराम कथा की गंगा सर्वत्र पावन करने का सुगम साधन उपलब्ध कराती है। जिस परिवार में पति-पत्नी एकांत में बैठकर श्रीमद्भगवद गीता चर्चा करते हैं उनका पुत्र बनने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 06:00 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 06:00 PM (IST)
गंगा सर्वत्र पावन करती श्रीराम कथा : स्वामी कमलानंद
गंगा सर्वत्र पावन करती श्रीराम कथा : स्वामी कमलानंद

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि श्रीराम कथा की गंगा सर्वत्र पावन करने का सुगम साधन उपलब्ध कराती है। जिस परिवार में पति-पत्नी एकांत में बैठकर श्रीमद्भगवद गीता चर्चा करते हैं, उनका पुत्र बनने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। वे शुक्रवार को नावल्टी रोड स्थित सनातन धर्म श्री रघुनाथ मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के छठे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि माता पार्वती की मांगलिक विदाई के बाद कैलाश पहुंचकर गौरीशंकर ने सद्गृहस्थ का पालन किया। श्रद्धा रूपी पार्वती एवं विश्वास स्वरूप महादेव के मेल से उत्पन्न हुए पुरुषार्थ रूपी कार्तिकेय ने गणेश रूपी विवेक के साथ मिलकर समाज में फैले पाखंड और भ्रम रूपी ताड़कासुर का वध किया। भगवान शंकर-पार्वती संवाद सुनाते हुए उपस्थित जनसमूह को समझाया कि जो प्रश्न पार्वती जी के हैं। वहीं प्रश्न आज के समाज के हर व्यक्ति के होने चाहिएं। जो उत्तर भोलेनाथ ने पार्वती को दिए उसी से विराट रामायण नाम का ग्रंथ प्रकट हुआ। पार्वती ने भोलेनाथ से प्रश्न किया कि भगवान निर्गुण और निराकार हैं तो ऐसा कौन सा कारण, कौन सी परिस्थिति का निर्माण हुआ जिससे निर्गुण को सगुण, निराकार को साकार बनना पड़ा। भोलेनाथ ने कहा कि भगीरथ की गंगा तो कुछ ही प्रदेशों को पवित्र कर पाती है पर श्रीराम कथा की गंगा अनंत काल तक सर्वत्र पावन होने का सुगम साधन उपलब्ध कराती है। सामान्यत: जब पति-पत्नी एकांत में मिलते हैं, तो श्रीराम चर्चा नहीं, बल्कि आपस में काम चर्चा होती है। यदि संत इकट्ठे होकर श्रीभद्भागवत कथा करें, तो यह आम बात है, लेकिन जिस पति-पत्नी के एकांत मिलन में श्रीराम कथा होती है, उसका गृहस्थ उच्च कोटि का माना जा सकता है। इस अवसर पर जब उन्होंने ऊं गण गणपतये नम: की धुन लगाई गई तो सारा वातावरण भक्तिमय हो गया।


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