सेंट्रल जेल : फंड न मिलने से दिक्कत, 4-जी जैमर लगाने का प्रस्ताव अटका
सेंट्रल जेल में 4-जी जैमर लगाने का प्रस्ताव अटक चुका है। इसका कारण विभाग के पास फंड न होना बताया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, अंबाल शहर : सेंट्रल जेल में 4-जी जैमर लगाने का प्रस्ताव अटक चुका है। इसका कारण विभाग के पास फंड न होना बताया जा रहा है। जबकि नया जैमर लगाने का प्रस्ताव जेल प्रशासन की तरफ से तीन से चार माह पहले भेजा चुका है, जिसपर अभी तक कोई अमल नहीं हो पाया। उधर, 3-जी जैमर लगा होने से हवालातियों के हाथों में स्मार्ट फोन यानी फोर जी नेटवर्क वाले मोबाइल काम कर रहे हैं। हालांकि जेल प्रशासन द्वारा पूरी सघनता के साथ चेकिग की जाती है फिर भी मोबाइल मिलने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। इसलिए पड़ी थी जैमर की जरूरत
चेकिग के दौरान कईं बार कैदियों से मोबाइल व सिम बरामद हो रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी यह सिलसिला नहीं रुक पा रहा है। ऐसे में सेंट्रल जेल सुर्खियों रही है। इसी को लेकर जेल प्रशासन द्वारा मोबाइल जैमर लगाने की तैयारी की गई थी। उल्लेखनीय है कि पहले भी सेंट्रल जेल में जैमर लगाए गए थे, लेकिन आसपास रिहायशी इलाके में लोगों को आने वाली परेशानी को देखते हुए इसे बंद कर दिया गया था। लेकिन इसके बाद फिर से 2016 में जेल में 3-जी जैमर लगाए गए थे।
जैमर लगने के बाद जेल प्रशासन की तरफ से दावा किया गया था कि जैमर लगने के बाद जेल से मोबाइल व सिम आदि मिलने की घटनाओं पर अंकुश लगेगा। इन राज्यों के हवालाती जेल में बंद
अंबाला के सेंट्रल जेल में हरियाणा के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान और दिल्ली के कई आरोपित हवालाती के रूप में हैं। वहीं जेल परिसर में हवालातियों से सिमकार्ड व मोबाइल फोन का मिलना यह साफ जाहिर करता है कि जेल में हवालाती मोबाइल का प्रयोग करते हैं। इस खबर पर मुहर तब लगती है जब जेल प्रशासन के अधिकारियों की ओर से शहर के बलदेव नगर थाने में पिछले दो साल के भीतर आपत्तिजनक वस्तुएं यानी मोबाइल, सिमकार्ड, मादक पदार्थ मिलने के करीब 48 से अधिक मुकदमें दर्ज कराएं गए हैं। सूत्रों के अनुसार सेंट्रल जेल में शातिर हवालाती फेसबुक, वाट्सअप से लेकर ट्विटर अकाउंट तक हैंडल कर रहे हैं। यह जेल की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है क्योंकि जेल से सोशल नेटवर्क पर सक्रिय रहने वाले शातिर अपराधी सलाखों के पीछे से ही अपना नेटवर्क संचालित कर रहे हैं। जेल में 3-जी की जगह 4-जी जैमर लगाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। हेड क्वार्टर ही बता सकता है इसे लगाने में क्यों देरी आ रही है। इसके अलावा रोजाना जेल में चेकिग अभियान चलाया जाता है। इस दौरान मोबाइल मिलने थाना बलदेव नगर में आरोपित के खिलाफ केस दर्ज करवाया जाता है।
- लखविद्र सिंह, सुपरिटेंडेंट, केंद्रीय कारागार