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एक माह से बेटे के भविष्य के लिए काट रहा था स्कूलों के चक्कर, दाखिला तो मिला पर उठा पिता का साया

अवतार सिंह न केवल पुलिस कर्मी था बल्कि एक अछा और नेक इंसान भी था। इसी का खामियाजा उसे अपनी जान गंवा कर देना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 07:20 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 07:20 AM (IST)
एक माह से बेटे के भविष्य के लिए काट रहा था स्कूलों के चक्कर, दाखिला तो मिला पर उठा पिता का साया
एक माह से बेटे के भविष्य के लिए काट रहा था स्कूलों के चक्कर, दाखिला तो मिला पर उठा पिता का साया

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : अवतार सिंह न केवल पुलिस कर्मी था बल्कि एक अच्छा और नेक इंसान भी था। इसी का खामियाजा उसे अपनी जान गंवा कर देना पड़ा। अवतार ने अपने दोस्त के भाई की एक लड़ाई-झगड़े के विवाद में मदद करते हुए उसकी सिफारिश की थी। इसी कारण हत्यारोपितों ने उसे मौत की नींद सुला दी। इस तरह एक हंसते खेलते परिवार को हत्यारोपितों ने उजाड़ दिया। अवतार सिंह का तीन साल के बेटे को पता नहीं कि उसका पिता हमेशा के लिए उससे दूर चला गया जबकि पत्नी का रो-रोककर बुरा हाल था। विधवा मां और फौज से रिटायर्ड पिता का भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह हो क्या गया। सभी बेसुध से होकर अपने बेटे को याद कर रहे थे। अवतार सिंह अपने तीन साल के बेटे के भविष्य को लेकर बहुत चितित था। उसका कहीं भी दाखिला नहीं हो रहा था क्योंकि वह हाल ही में तीन साल का हुआ था। बृहस्पतिवार को ही अंबाला के एयरफोर्स स्कूल में अगम का नर्सरी में दाखिला हुआ था। बेटे के भविष्य को बनाने के लिए उसका दाखिला तो करा दिया लेकिन एक दिन बाद ही अगम के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया।

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छह साल से दे रहा था पुलिस में सेवाएं

अवतार सिंह पढ़ाई में बहुत होशियार था। करीब सात साल पहले वह पुलिस में भर्ती हुआ था। अपनी काबिलियत के बल पर ही वह आइजी ऑफिस में क्लेरिकल में चला गया था। अंग्रेजी भाषा पर बेहद मजबूत पकड़ होने के कारण सारा कार्यभार वही संभाल रहा था। इतना ही नहीं ग्रामीण तक उसकी नेकी की कसमें उसकी मौत के बाद भी खा रहे थे। हर कोई चर्चा कर रहा था कि गांव में इतना नेक आदमी नहीं था। न किसी से झगड़ा न किसी से विवाद। अवतार हैड कांस्टेबल था और जल्द ही उसे एएसआई पदोन्नत होना था। आचार संहिता के चलते प्रमोशन अटकी हुई थी।

एक दिन पहले ही भाई रवाना हुआ था पूना

अवतार सिंह का एक भाई भी है। भाई भूपेंद्र सिंह उर्फ पिदा एक दिन पहले ही पूना के लिए रवाना हुआ था। भूपेंद्र सिंह भी पिता की तरह फौजी है। अभी भूपेंद्र पूना पहुंचा ही था कि उसे यह दुख भरी खबर मिली। शनिवार देर शाम तक भूपेंद्र वापस गांव में नहीं पहुंचा था।


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