कागजों में उलझा फायर ब्रिगेड का तीन मंजिला भवन
एक ओर सरकार जनता को करोड़ों रुपये की सौगात दे रही है वहीं दूसरी ओर फायर ब्रिगेड कार्यालय एक भवन के लिए तरस रहा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला
एक ओर सरकार जनता को करोड़ों रुपये की सौगात दे रही है, वहीं दूसरी ओर फायर ब्रिगेड कार्यालय एक भवन के लिए तरस रहा है। यहां कभी भी हादसा हो सकता है, जबकि तीन साल पहले मंजूर हुए 2.51 करोड़ रुपये आज तक कागजों में उलझे हैं। यह प्रोजेक्ट अभी तक कागजों से बाहर नहीं आ पाया है। इस जर्जर भवन के साथ कभी भी हादसा हो सकता है। बारिश में जहां इसकी छत टपकती हैं, वहीं अन्य दिनों में कभी छत का पलस्तर टूट कर गिरता है, तो कभी दीवारों का। यहां पर तीन मंजिला नया भवन बनाने की योजना है, लेकिन इसकी फाइल आगे नहीं सरक रही। करोड़ों के प्रोजेक्ट पर ढिलाई
फायर ब्रिगेड के अंबाला छावनी कार्यालय तीन कमरे हैं, जबकि गाड़ियों को खड़ा करने के लिए एक शेड बनाया गया है। ये तीन कमरे इस वक्त जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। इन जर्जर कमरों में बैठकर कर्मचारी अंबाला छावनी सहित तमाम हिस्सों में आग लगने की स्थिति में जनता को राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जबकि खुद खतरे में बैठे हैं। इसका प्रोजेक्ट तैयार है और तीन मंजिला इमारत बनाने की योजना है, लेकिन यह योजना अभी तक कागजों से ही बाहर नहीं आ पाई है। करीब ढाई करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट शहरी स्थानीय निकाय निदेशायल को भेजा गया है, लेकिन आज तक इसकी मंजूरी ही नहीं मिल पाई है। यदि इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल जाती तो आधुनिक कार्यालय दमकल विभाग को मिल जाता। यहां तमाम सुविधाएं मिलती जबकि इस प्रोजेक्ट की ओर से अफसरों ने भी आंखें मूंद रखी हैं। करीब तीन साल पहले प्रपोजल भेजा गया था, जिस पर करीब ढाई करोड़ रुपये भी मंजूर किए गए थे। लेकिन इसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ रहा। यह सही है कि कमरे काफी जर्जर हो चुके हैं। अब देखते हैं कि यह प्रोजेक्ट जमीन पर उतरता है।
-अमर सिंह, फायर स्टेशन आफिसर, अंबाला छावनी इस प्रोजेक्ट को लेकर मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। इस बारे में बाद में ही कुछ बता सकता हूं।
-विनोद नेहरा, ईओ नगर परिषद अंबाला छावनी