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किरकिरी हुई तो रेलवे ने ट्रैक विद्युतीकरण में हुए स्टील घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपी

रेलवे ने आखिरकार रेल ट्रै‍क के विद्युतीकरण में हुए स्‍टील घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। इसके बाद इस मामले में बड़े खुलासे की संभावना है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 01:22 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 01:22 PM (IST)
किरकिरी हुई तो रेलवे ने ट्रैक विद्युतीकरण में हुए स्टील घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपी
किरकिरी हुई तो रेलवे ने ट्रैक विद्युतीकरण में हुए स्टील घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपी

अंबाला, [दीपक बहल]। रेलवे ने अाखिरकार रेल ट्रैक विद्युतीकरण में बड़े पैमाने पर हुए स्टील घोटाले की जांच  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दी है। इस मामले की जांच सीबीआइ की जम्मू टीम करेगी। इलाहाबाद स्थित केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) की विजिलेंस जांच में कई सनसनीखेज रहस्योद्घाटन होने के बाद रेलवे ने यह निर्णय किया है।

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अंडर वेट स्टील सप्लाई और प्रोजेक्ट से करोड़ों की रेल संपत्ति गायब होने का हुआ था पर्दाफाश

मामला ऊधमपुर-कटरा में उपयोग किए गए स्टील का वजन तय मानक से कम पाए जाने और करोड़ों रुपये की रेल संपत्ति गायब होने का है। दैनिक जागरण ने 24 फरवरी 2018 को 'अफसरों ने दांव पर लगा दी यात्रियों की सुरक्षा, खंभों में घटाया स्टील' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर स्टील घोटाले का पर्दाफाश किया था।

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देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे हुआ घोटाला

जम्मू एवं कश्मीर में जम्मू-ऊधमपुर, ऊधमपुर-कटरा, उप्र में गाजियाबाद-मुरादाबाद, केरल के कोझिकोड से कोंकण रेलवे सेक्शन के विद्युतीकरण में घोटाला हुआ है। विद्युतीकरण के दौरान उपयोग किए जा रहे स्ट्रक्चर्स (ट्रैक के साथ-साथ लगाए जाने वाले खंभे और ढांचे जो बिजली के तार को सपोर्ट करते हैं) में स्टील का वजन मानक से 13 से 19 फीसद तक कम पाया है।

इसके अलावा जम्मू-ऊधमपुर का टेंडर क्वालिटी इंजीनियर्स एंड कांट्रैक्टर्स कंपनी को 7.58 करोड़ में दिया गया था। बाद में तकनीकी कारणों का हवाला देकर टेंडर की कीमत 10 करोड़ से अधिक कर दी गई, जबकि काम कम में हुए। इससे कंपनी को फायदा मिलता रहा, क्योंकि टेंडर की कीमत के मुताबिक ही लागत राशि जारी होती रही।

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विजिलेंस ने उठाए थे सवाल

स्टील घोटाले की जांच कर विजिलेंस ने केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) के सीनियर डिप्टी जनरल मैनेजर (एसडीजीएम) अरुण कुमार को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट में घोटाले का जिक्र है। जांच में स्पष्ट हो चुका है कि स्ट्रक्चर्स में स्टील का वजन कम है।

कोर के महाप्रबंधक रतन लाल और एसडीजीएम अरुण कुमार ने रेलवे बोर्ड के आला अफसरों को पूरे घपले से अवगत कराया। इसके बाद सीबीआइ को जांच को मंजूरी मिली। कोर से रेलवे बोर्ड की चिट्ठी जम्मू के सीबीआइ केंद्र पहुंच चुकी है। जल्द ही सीबीआइ सभी दस्तावेज विजिलेंस से ले लेगी।

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अफसरों पर शिकंजा तय

घोटाले में स्टील स्ट्रक्चर्स सप्लाई करने वाली दागी कंपनी पर मेहरबानी करने वाले अफसरों पर भी शिकंजा कसना तय है। कोर के महाप्रबंधक रतन कुमार और एसडीजीएम अरुण कुमार ने मामले में अनभिज्ञता जताई। हालांकि, एक सीनियर अधिकारी ने सीबीआइ जांच की पुष्टि की है।

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चेन्नई की चिट्ठी से घोटालेबाज बेनकाब

सीपीडी (चेन्नई) की चिट्ठी से घोटालेबाज बेनकाब हुए। 27 जनवरी 2016 को इलाहाबाद स्थित केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) के मुख्य विद्युत इंजीनियर (सीईई) को पत्र लिखकर सीपीडी (चेन्नई) ने स्ट्रक्चर का वजन 7 से 11 फीसद कम होने की बात कही थी। इसके बाद जीएम ने देशभर के 10 मुख्य परियोजना निदेशकों (सीपीडी) को पत्र भेजकर स्ट्रक्चर्स का वजन करवाया जो 13 से 19 फीसद तक कम पाया गया।

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