जिला प्रशासन दबाकर बैठ गया सर्राफों के आम्स लाइसेंस बनाने की फाइल
तीन साल से जिला प्रशासन के पास आर्म्स लाइसेंस बनवाने के लिए जूतियां घिसा चुके छावनी के सर्राफ कारोबारी सचिन ¨सगला ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : तीन साल से जिला प्रशासन के पास आर्म्स लाइसेंस बनवाने के लिए जूतियां घिसा चुके छावनी के सर्राफ कारोबारी सचिन ¨सगला ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहां से हाईकोर्ट ने 28 नवंबर तक सर्राफ कारोबारी का लाइसेंस बनाने के आदेश दिए हैं, लेकिन आदेश के बावजूद जिला प्रशासन ने अभी तक सर्राफ कारोबारियों के लाइसेंस नहीं बनाए हैं। ऐसे में तीन दिन बचे हैं और डीसी और एसपी कार्यालय से लाइसेंस बनाने की फाइल आगे नहीं बढ़ पाई है।
सर्राफ कारोबारी सचिन ¨सगला ने बताया कि उसकी छावनी के सर्राफ बाजार में उसकी पुरुषोत्तम ज्वैलर्स की शॉप है और जिस तरीके से ज्वैलर्स के साथ लूटपाट और जान से मारने की घटना हो रही है, जिसे देखते हुए उसने 25 मई, 2015 में पुलिस कमिश्नरी रहते हुए पुलिस उपायुक्त अंबाला के पास आर्म्स लाइसेंस बनवाने की एप्लीकेशन दी थी, लेकिन उसकी एप्लीकेशन डीसीपी कार्यालय में धूल फांकती रही। डीसीपी के पास वह हर साल 30-35 चक्कर काटता रहा, लेकिन पुलिस कार्यालय में उसकी सुनवाई नहीं हुई और अंबाला में जब पुलिस कमिश्नरी टूटी तो उसने आर्म्स लाइसेंस के लिए डीसी कार्यालय में जाकर संपर्क किया। बीते डेढ़ साल अब वह डीसी कार्यालय के चक्कर काट रहा हैं, लेकिन उसका लाइसेंस नहीं बना। इसीलिए उसे दुखी होकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ी। इस मामले में डीसी शरनदीप कौर बराड़ से बातचीत की गई तो उन्होंने इस मामले पर बाद में बात करने की बात कहीं।
डीसीपी कार्यालय में धूल फांकता रहा आवेदन
सर्राफ कारोबारी ने बताया कि 13 जून, 2018 को उसने डीसी के समक्ष आर्म्स लाइसेंस को लेकर प्रजेंटेशन दी थी, लेकिन डीसी कार्यालय ने कोई रुचि नहीं दिखाई। इसीलिए उसने हारकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसी आधार पर कोर्ट ने 12 नवंबर को मामले का निपटारा करते हुए डीसी को लाइसेंस बनाने के आदेश दिए थे और 28 नवंबर तक यह लाइसेंस बनाकर देना था, लेकिन जिलाधीश ने सर्राफ को पत्र भेजकर सूचना दी कि 18 अक्टूबर, 2016 को ने आर्म्स लाइसेंस की शक्तियां जिलाधीश को दे दी है और एक साल 11 महीने से आर्म्स लाइसेंस का आवेदन डीसीपी कार्यालय में लटका रहा। इसके बाद 10 अप्रैल, 2017 तक बिना किसी कार्रवाई यह आवेदन एसपी कार्यालय में भेज दिया गया था।