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पिता को बेटी के चरित्र पर था संदेह, समझाने पर भी नहीं मानी तो उठाया खौफनाक कदम

एक व्‍य‍क्ति काे अपनी 18 साल की बेटी के चरित्र पर शक था। इस कारण उसने बेटी की हत्‍या कर दी। उसका कहना है कि बेटी को कई बार समझाया, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 09:21 AM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 09:21 AM (IST)
पिता को बेटी के चरित्र पर था संदेह, समझाने पर भी नहीं मानी तो उठाया खौफनाक कदम
पिता को बेटी के चरित्र पर था संदेह, समझाने पर भी नहीं मानी तो उठाया खौफनाक कदम

अंबाला शहर, जेएनएन। एक व्‍य‍क्ति को अपनी बेटी के चरित्र पर संदेह था। उसने बेटी को कई बार समझाया और वह इसके बाद भी नहीं मानी तो उसकी गला दबाकर हत्‍या कर दी। उसने 18 वर्षीय बेटी की चुन्नी से गला घोंटकर मारने के बाद शव का चुपचाप अंतिम संस्कार कर दिया। अंबाला के गांव जनसूई निवासी आरोपित निहाल चंद को गिरफ्तार कर पुलिस ने एक दिन के रिमांड पर लिया है।

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पुलिस के मुताबिक, निहाल की शादी 20 साल पहले कुरुक्षेत्र के बेरथला गांव की सुखविंद्र कौर से हुई थी। उसका पत्नी से विवाद चल रहा था। माता-पिता में अनबन के कारण उसकी बेटी मनप्रीत कौर करीब 12 साल से मां के साथ मामा रामदास के घर रह रही थी। बाद में उनमें समझौता हो गया।

मनप्रीत और सुखविंद्र कौर अपने घर जनसूई लौट गए। 6 नवंबर को रामदास अपनी भांजी मनप्रीत को अपने साथ गांव बेरथला ले गया। कुछ दिन वहां रहकर वह 21 नवंबर को पिता के साथ जनसूई आ गई। उसी दिन घर में अकेला पाकर निहाल चंद ने उसकी चुन्नी से गला घोंटकर हत्या कर दी। किसी को शक न हो इसलिए उसने 22 नवंबर की सुबह 5 बजे से पहले उसने शव का संस्कार कर दिया।

नग्गल थाना प्रभारी राजीव ने बताया कि आरोपित को बेटी के चरित्र पर शक था। उसका कहना है कि बेटी कहने सुनने से बाहर थी। उसे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। इसीलिए चुन्नी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। यह भी ऑनर किलिंग का ही स्वरूप है। आरोपी को एक दिन की रिमांड पर लिया गया है।

मामा ने बेटी से बढ़कर दिया था प्यार, सदमे में खाना-पीना छोड़ा

रामदास को यह भरोसा नहीं हो रहा कि जिस भांजी मनप्रीत को बेटी से बढ़कर प्यार किया, वह अब दुनिया में नहीं है। वारदात के बाद वह सदमे में है। रक्तचाप कम होने के कारण उठने में भी असमर्थ है। डॉक्टर बार-बार इंजेक्शन दे रहे हैं। उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया है। दरअसल, बहन सुखविंद्र की पति से नहीं बन रही थी। इस वजह से वह बेटी मनप्रीत के साथ मायके में रहने लगी थी। हालांकि चार साल पहले दोनों में पंचायत ने समझौता करा दिया था। इसी कारण वह जनसूई वापस लौट आई। इसके बाद सुखविंद्र कौर ने बेटे को जन्म दिया।

रामदास 6 नवंबर को जनसूई पहुंचा और भांजी को अपने साथ गांव बेरथला ले गया। दीपावली भी मनप्रीत ने अपने मामा के घर ही मनाई थी। 20 नवंबर को मनप्रीत ने अपने मामा से कहा कि उसे वह जनसूई छोड़ आए। इस पर रामदास ने निहाल चंद को फोन कर कहा कि मनप्रीत को ले जाए। 21 नवंबर को निहाल अपने बेटी को बेरथला से वापस जनसूई ले आया और उसकी हत्या कर दी।

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