पहले ही दिन बेअसर दिखा किसानों का गांव बंद आंदोलन
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट व अन्य मांगों को लेकर किसानों द्व
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट व अन्य मांगों को लेकर किसानों द्वारा 10 जून तक छेड़ा गांव बंद आंदोलन पहले दिन ही बेअसर दिखा। भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न गुटों ने आंदोलन के तहत शहरों में गांव से दूध, सब्जी व अन्य जरूरी सामान की आपूर्ति नहीं करने का आह्वान किया था। जिससे सरकार उनकी मांगों को मानने को मजबूर हो जाए। हालांकि, सब्जी, दूध व चारा आदि की कहीं कोई किल्लत नजर नहीं आई। अलबत्ता, भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम ¨सह चढूनी गुट ने शहर स्थित ताऊ देवी लाल चौक पर दिन भर धरना जरूर दिया। इस धरने में बामुश्किल तीन दर्जन किसान शामिल हुए। यहां किसान भाकियू चढूनी गुट के उप प्रधान गुलाब ¨सह के नेतृत्व में धरने में शामिल हुए।
किसानों ने गांव बंद का आह्वान जरूर किया था लेकिन शहर में सब कुछ बदस्तूर चलता रहा। शहर व छावनी सब्जी मंडी में ज्यादातर आवक ट्रांसपोर्ट के जरिए होती है और स्थानीय किसानों का योगदान बेहद कम है। इसी प्रकार शहर में वीटा मिल्क प्लांट होने से दूध की कहीं कोई किल्लत नहीं रही। इस प्लांट से ही रोजाना अंबाला, चंडीगढ़, पंजाब व जम्मू तक करीब सवा लाख लीटर दूध की खपत होती है।
किसानों की मांगें पूरी की जाएं
शहर स्थित ताऊ देवीलाल चौक पर मौजूद भाकियू के उप प्रधान गुलाब ¨सह व अन्य किसानों ने बताया कि गांव बंद का मकसद आवाज केंद्र सरकार तक पहुंचाना है। जिससे कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए और फसलों का लाभकारी मूल्य मिल सके। पूंजीपतियों की तरह किसानों का कर्ज भी माफ किया जाए। निराश्रित गोवंश प्रबंधन कर सरकार किसानों की फसलों को उजाड़ने से बचाया जाए। नकली बीज, नकली पेस्टीसाइड पर रोक लगाई जाए।