समर्पण का भाव सत्संग से सहज में प्राप्त किया जा सकता है : दयानंद
जलबेहड़ा रोड स्थित जयराम सेठी धर्मशाला में चल रही तृतीय दिवस की श्रीमद्देवी भागवत कथा में रेणुका से पधारे प्यारनंद ब्रह्मचारी के संत शिष्य महामण्डलेश्वर दयानंद भारती को पुष्प गुछ भेंट कर स्वागत किया। उनका दीपचंद गुप्ता हाकम सिंह ने स्वागत किया। पूज्य गुरुदेव ने कहा कि सकारात्मक विचारों को जीवन में धारण करते हुए जीवन का निर्वहन करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जलबेहड़ा रोड स्थित जयराम सेठी धर्मशाला में चल रही तृतीय दिवस की श्रीमद्देवी भागवत कथा में रेणुका से पधारे प्यारनंद ब्रह्मचारी के संत शिष्य महामण्डलेश्वर दयानंद भारती को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। उनका दीपचंद गुप्ता, हाकम सिंह ने स्वागत किया। पूज्य गुरुदेव ने कहा कि सकारात्मक विचारों को जीवन में धारण करते हुए जीवन का निर्वहन करना चाहिए। मानव जीवन बार-बार नहीं मिलता इसे व्यर्थ के प्रपंच में पड़ गंवाना नहीं है। उन्होंने कहा कि विजय दशमी के मंगल अवसर पर भगवान श्री राम द्वारा रावण का वध किया गया था। वास्तव मे श्री राम सद्गुणों की खान है और रावण काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईष्र्या, द्वेष, निराशा, संशय और आलस्य का स्वरूप है। हमें क्षमा, दया, आशा, नम्रता, निग्रह, विवेक, प्रेम, करूणा, त्याग और सत्य के तीरों द्वारा अवगुण रूपी रावण को धराशायी करना है। महामंडलेश्वर ने कहा कि आज हर व्यक्ति तनाव पूर्ण जीवन जी रहा है। बस विषयों की पूर्ति के लिए निरंतर भाग रहा है। वह अपने मूल कर्तव्य से विमुख हो चुका है। उसे बाहरी चकाचौंध के जाल को चीर कर भीतर की सोई शक्ति को जगाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। उसे एक साधक की तरह जीवन जीने पर बल देना है तभी उसका मानव जीवन सार्थक होगा। यह सब आदि भवानी की शरण मे आये बिना संभव नहीं। संयम, सेवा, स्वाध्याय, सत्संग, साधना और सदविचार ही एकमात्र मार्ग है शक्ति की भक्ति को प्राप्त करने के लिए। आदि शक्ति हर जीव मे विद्यमान है।
महाराज ने कहा कि शक्ति को प्राप्त करने के लिए समर्पण परमावश्यक है। समर्पण का भाव सत्संग के द्वारा सहज में प्राप्त किया जा सकता है। सतसंग जैसा सरल साधन दूसरा कोई नहीं है। इस दौरान रमेश गुप्ता, दीपचंद गुप्ता, रजनीश जण्डली, बृज भूषण गोयल, कपिल गोयल, पुरुषोत्तम मौहडी, हरनेक मोहडी ने महाराज से आशीर्वाद ग्रहण किया।