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डायलिसिस मशीनें हुई ठप, आक्सीजन सिलेंडर खाली, बीच में अटकी मरीजों की सांसे

हरीश कोचर, अंबाला स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के गृहक्षेत्र में सोमवार को भारी लापरवाही सामने

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 01:03 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 01:03 AM (IST)
डायलिसिस मशीनें हुई ठप, आक्सीजन सिलेंडर खाली, बीच में अटकी मरीजों की सांसे
डायलिसिस मशीनें हुई ठप, आक्सीजन सिलेंडर खाली, बीच में अटकी मरीजों की सांसे

हरीश कोचर, अंबाला

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स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के गृहक्षेत्र में सोमवार को भारी लापरवाही सामने आई। छावनी के नागरिक अस्पताल में मरीजों की ¨जदगी से सरेआम खिलवाड़ किया गया। इमरजेंसी के पहले फ्लोर पर स्थित डायलिसिस ¨वग में एक साथ पांच मशीनें खराब हो गई। मशीनें बंद होने के कारण मरीजों की सांसें बीच में अटक गई जिसके बाद आनन-फानन में स्टाफ ने मरीजों का डायलिसिस बीच में ही बंद किया। इसी बीच एक मरीज को सांस की दिक्कत हो गई तो वहां ऑक्सीजन के सभी सिलेंडर खत्म निकले। ऐसे में इमरजेंसी ब्लॉक से एक सिलेंडर मंगाकर मरीज को ऑक्सीजन लगाई गई। इसकी सूचना अस्पताल प्रशासनिक अधिकारियों को भी दी गई जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। वहीं सुबह खराब हुई मशीनों को ठीक करने के लिए करीब ढाई बजे टेक्नीशियन आया और इसके बाद चार बजे मरीजों का दोबारा डायलिसिस शुरू किया जा सका। वहीं दस से अधिक मरीजों को बाहर निजी अस्पतालों में अपना डायलिसिस करवाना पड़ा।

पीपीपी मोड़ पर चलाई जा रही ¨वग

दरअसल छावनी के नागरिक अस्पताल में जुलाई 2017 में ही महज एक साल पहले ही दिल्ली की डीसीडीसी किडनी केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी दिल्ली के सहयोग से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर डायलिसिस सेंटर शुरू किया था। इसमें बहुत कम दामों पर डायलिसिस किया जाता है। लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही आठ मशीनों से शुरू किए गए सेंटर में अब एक समय में 11 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है।

11 मरीजों का चल रहा था डायलिसिस

एक मरीज का डायलिसिस करने में करीब तीन से चार घंटे का समय लगता है। ऐसे में यहां तीन शिफ्टों में मरीजों को बुलाया जाता है। इसी कड़ी में सोमवार को भी सुबह आठ बजे पहली शिफ्ट में आए 11 मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा था। लेकिन अभी मरीजों का डायलिसिस शुरू ही किया गया था कि एक-एक कर पांच मशीनें ठप हो गई और डायलिसिस बीच में ही बंद हो गया। मरीजों का कुछ ब्लड मशीन में था तो कुछ पाइप लाइन में था। मरीजों की बिगड़ती हालत देख आनन-फानन में स्टाफ ने ठप हुई मशीनों को बंद किया। वहीं अन्य मरीजों को भी मशीनें बंद होने की बात पता चलते ही उनकी भी सांसे अटक गई।

सभी आक्सीजन सिलेंडर खत्म निकले

वहीं एक मरीज की डायलिसिस बंद होते ही उसकी हालत पहले से अधिक बिगड़ गई और उसे सांस की दिक्कत होने लग गई। कर्मियों ने उसे आक्सीजन देने के लिए सिलेंडर लगाया तो वह खाली निकला। उस वक्त ¨वग में रखे तीनों आक्सीजन सिलेंडर खाली थे। एक कर्मी खाली सिलेंडर लेकर इमरजेंसी ब्लॉक में गया और वहां से भरा हुआ सिलेंडर लेकर ऊपर आया। इसके बाद मरीज को आक्सीजन लगाई गई। इस दौरान एक महिला कर्मी ने जब मरीज का बीपी चेक किया तो सामान्य से काफी बढ़ा हुआ था।

स्ट्रेचर पर तड़पती रही बुजुर्ग महिला

वहीं एक अन्य बुजुर्ग महिला की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे ¨वग में लेकर पहुंचे। कर्मियों ने ¨वग के बाहर स्ट्रेचर पर ही लेटी बुजुर्ग महिला के ब्लड का सैंपल लिया। बुजुर्ग स्ट्रेचर पर ही पड़ी तड़पती रही। डॉक्टर ने उसे चेक किया और उसके परिजनों को कुछ घंटे तक इंतजार करने के लिए कहा। डॉक्टर ने उसे बताया कि उनके यहां केवल 11 ही मशीनें है और सभी बैड पर मरीज लेटे हुए है।

ऑक्सीजन के मामले में बरती जा रही लापरवाही

अस्पताल की ओर से डायलिसिस ¨वग में आक्सीजन पाइप लाइन का कनेक्शन भी लगा है। यहां मरीजों का डायलिसिस करने के दौरान आक्सीजन की काफी जरूरत पड़ती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से यहां अलग से एक मीटर लगवाने के लिए कहा गया था लेकिन नहीं लगवाया गया। इसी कारण यहां सिलेंडरों से काम चलाया जा रहा है।

ऑक्सीजन नहीं मिली

मैं सुबह आठ बजे यहां आया था और डायलिसिस शुरू कर दिया गया था। लेकिन मशीन खराब होने के कारण डायलिसिस बंद हो गई। सांस लेने में दिक्कत हुई तो आक्सीजन सिलेंडर खत्म हो रखा था।

राजन नेगी, मरीज। हो सकती है दिक्कत

मेरा डायलिसिस चल रहा था और बीच में ही मशीन खराब होने के कारण बंद हो गई। मशीन रिपेयर होने के बाद दोबारा शाम को करीब चार बजे डायलिसिस शुरू किया गया। ऐसे में मरीज को मशीन खराब होने पर दिक्कत हो सकती है।

कुनाल शर्मा, मरीज। जांच की जा रही है

सुबह ही पांच मशीनें खराब होने की सूचना मिल गई थी। मशीनों को ठीक करवाने के लिए टेक्नीशियन बुलाया गया है। डायलिसिस ¨वग में आक्सीजन की पाइप लाइन है लेकिन उन्होंने उसे शुरू ही नहीं करवाया है। लापरवाही के मामले में कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. सतीश, एसएमओ।


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