डॉक्टरों की लापरवाही ने छीन ली एक और मासूम की जिंदगी
स्वास्थ्य मंत्री के गृहक्षेत्र का हाल, इलाज के अभाव में 8 वर्षीय ब''ाी ने गंवाई जान, पिछले 10 दिनों के भीतर मौत का दूसरा मामला
जागरण संवाददाता, अंबाला: छावनी के नागरिक अस्पताल में प्रशासनिक लापरवाही अब नासूर बनती जा रही है। रविवार को आठ साल की एक बच्ची इसी लापरवाही का शिकार हो गई। उसे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी। इससे पहले एक और नवजात की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य लापरवाही का मामला प्रसूति विभाग में सामने आया था। यह हाल उस क्षेत्र का है जहां से चुनकर राज्य के वरिष्ठ और कद्दावर नेता अनिल विज विधानसभा में पहुंचे। बड़ी बात को ये है कि विज के पास स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रभार है और उनके नगर क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सेवाएं बीमार हैं। क्या है मामला
रविवार को लक्की विहार निवासी मनोज कुमार बताते हैं कि उनकी 8 वर्षीय बेटी कोमल को पिछले तीन-चार दिनों से कमर दर्द की शिकायत थी। शनिवार रात को करीब साढ़े 10 बजे उसे लेकर स्थानीय नागरिक अस्पताल पहुंचे। डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया और कहा कि यह अब ठीक है। लेकिन, अगले दिन भी बच्ची की तबीयत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ तो परिजन उसे लेकर सुबह पौने 9 बजे फिर इमरजेंसी में पहुंच गए। डॉक्टर ने बच्ची को अस्पताल में दाखिल किया और दवा दे दी। परिजनों का आरोप है कि इसके बाद काफी देर तक अस्पताल का कोई भी स्टाफ बच्ची का हाल जानने नहीं आया। करीब 12 बजे बच्ची की हालत फिर बिगड़ने लगी तो डॉक्टर को बताया गया। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। बाल रोग विशेषज्ञ ने आकर स्वास्थ्य जांचा और ज्यादा गंभीर होने पर ऑक्सीजन लगाकर बच्ची को रेफर करने के लिए स्टाफ को निर्देश दे दिया। परिजन बताते हैं कि डॉक्टर के कहने के काफी देर बाद ऑक्सीजन दी गई। इस बीच, मासूम कोमल की सांसों की डोर टूट चुकी थी। दूसरी ओर, डॉक्टर मरीज को रेफर करने के लिए कागज तैयार करने में जुटे हुए थे। स्टाफ ने कहा, रजिस्टर में लिखो अस्पताल की लापरवाही नहीं, बिफरे परिजन
वहीं, बच्ची के शव को माइनर ओटी में रख दिया गया। इसके बाद मामले ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब अस्पताल स्टाफ ने परिजनों से कहा कि वे अस्पताल रजिस्टर में लिखें कि बच्ची की मौत बीमारी से हुई है और इसमें डॉक्टर या स्टाफ की कोई गलती या लापरवाही नहीं है। परिजन बिफर पड़े। उन्होंने यह बात लिखने से इन्कार करते हुए हंगामा कर दिया। इसी बीच, सूचना पर अस्पताल चौकी के पुलिसकर्मी भी इमरजेंसी में पहुंच गए। पुलिसकर्मियों ने नाराज परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया। मौत के दो घंटे बाद परिजन बिना कार्रवाई के ही शव लेकर चले गए। अस्पताल को लापरवाही की बीमारी
--नागरिक अस्पताल में पिछले दस दिनों में डॉक्टर व स्टाफ की लापरवाही के कारण मौत होने का यह तीसरा मामला था। कुछ दिन पहले मोहड़ा निवासी गर्भवती महिला की डिलीवरी के कुछ घंटे बाद ही नवजात की जान चली गई थी। इसमें स्टाफ नर्स पर आरोप लगे थे जिसकी जांच चल रही है।
--दूसरा मामला अभी बृहस्पतिवार को सामने आया। प्रसूति विभाग में स्टाफ ने एक गर्भवती को ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी होने की बात कही, जबकि निजी अस्पताल में उसी महिला की सामान्य डिलीवरी हुई। शिकायत अनिल विज से भी की गई थी। मामले की जांच चल रही है।