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डीसी साहब! निचले स्तर पर कैसे खत्म होगा वीआइपी कल्चर

पहले मोदी सरकार और अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट वीआइपी कल्चर खत्म करने की पहल कर चुकी है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सबसे पहले नियम अपने पर लागू किए और फिर आदेश जारी किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 09:00 AM (IST)
डीसी साहब! निचले स्तर पर कैसे खत्म होगा वीआइपी कल्चर
डीसी साहब! निचले स्तर पर कैसे खत्म होगा वीआइपी कल्चर

पहले मोदी सरकार और अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट वीआइपी कल्चर खत्म करने की पहल कर चुकी है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सबसे पहले नियम अपने पर लागू किए और फिर आदेश जारी किया। इन आदेशों में कहा गया कि वाहनों पर कोई भी अधिकारी पद, आर्मी, डॉक्टर, एडवोकेट, प्रेस, विधायक, प्रधान या मुखिया आदि नहीं लिख सकेंगे। यह आदेश चंडीगढ़ में लागू किया गया, लेकिन प्रदेश की मुख्य सचिव ने सराहनीय कदम उठाते हुए हरियाणा के सभी अधिकारियों को पालना के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट और सरकार यह आदेश लागू कर चुकी है, लेकिन अंबाला के अधिकारी शायद इसे अपना रुतबा कम होना समझ रहे हैं। यही कारण है कि कई अधिकारियों की गाड़ी पर आज भी पद बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे हुए हैं। डीसी और एसपी ही राज्य सरकार के आदेशों को अंबाला में लागू करवा सकते हैं। इसलिए पहल ऊपर से होनी बहुत जरूरी है।

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यह कैसा कानून, बसी कॉलोनियां बताया अवैध

कृषि जमीन पर पहले कॉलोनियां कट गई और फिर धीरे-धीरे निर्माण के बाद आबाद हो गई। पानी, बिजली जैसी सुविधाएं तक दे दी गई। इस खेल में नीचे से लेकर ऊपर तक मिलीभगत रही, क्योंकि जब कॉलोनियां कटीं और निर्माण हुए, तो समय पर रोका नहीं गया। यहां तक कि खानापूर्ति के लिए कुछ कॉलोनियों में पीला पंजा सड़कों पर चलाया गया, लेकिन जो कॉलोनियां बस चुकी हैं, उसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस में किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। छावनी ही नहीं शहर में भी इसी तरह खेल चलता रहा। अब जब अधिकारी नींद से जागे तो खुद को सतर्क दिखाने और लोगों को जागरूक करने के लिए चेतावनी बोर्ड लगा दिए। बोर्ड तो लगा दिए गए, लेकिन चर्चा शुरू हो गई कि इन कालोनियों को कटने और आबाद होने से पहले ही यह कार्रवाई क्यों नहीं हुई। लगता है दाल में कुछ काला है।

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अंबाला स्वच्छता समिति का बेहतर प्रयास

लगता है कि जिला प्रशासन सफाई व्यवस्था को लेकर काफी गंभीर हो गया है। तभी तो प्रशासन ने अंबाला स्वच्छता समिति का वाट्सएप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में उन लोगों को जोड़ा गया है, जो स्वच्छता को लेकर कुछ न कुछ नया सोचते रहते हैं। इतना ही नहीं प्रशासन के सामने वास्तविक हालात भी रखते हैं। अभी हाल ही में यह ग्रुप गठित किया गया है, जिसका रिस्पांस आना भी शुरू हो गया है। इस ग्रुप में डीसी अंबाला अशोक कुमार और हॉकी एसोसिएशन अंबाला के चेयरमैन राजेंद्र विज एडिमन हैं। जनता ने इस प्रयास का स्वागत भी किया है। जिन क्षेत्रों में सफाई नहीं हो पा रही अब इस ग्रुप के सदस्य उसकी मॉनीटरिग कर ग्रुप में फोटो शेयर करते हैं। इसी पर नगर परिषद के सफाई दारोगा को भी निर्देश दिए जाते हैं। कुछ भी प्रशासन का यह प्रयास सीधा डीसी की मॉनीटरिग में है।

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एडीसी की बची, सिविल सर्जन की हिली कुर्सी

रुतबा कहें या मेहरबानी। एडीसी एवं आरटीए सचिव जगदीप ढांडा का अंबाला से ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन वह रिलीव नहीं हुए। कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन बड़े साहब की अंबाला में ही वापसी का फरमान जारी हो गया। एडीसी को पीडब्ल्यूडी बी एंड आर स्पेशल सचिव नियुक्त किया गया था। लेकिन उनकी विदाई पार्टी भी नहीं हुई, लेकिन सरकार ने उनको वापस अंबाला में ही तैनात दे दी। इसी प्रकार सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया की फिर से यमुनानगर में वापसी हो गई। दाढ़ी वाले बाबा जी खुश हुए तो डाक्टर साहब अपने घर पहुंच गए। बताते हैं कि बाबा जी से घर वापसी के लिए अनुरोध किया था, जिसके चलते उनकी घर वापसी हो गई है। पिछले ढाई महीने में तीसरे सिविल सर्जन का तबादला हुआ है। पहले सीएमओ सस्पेंड हो गए थे, जबकि बाद में दो सीएमओ आए, वे भी ट्रांसफर हो गए।


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