डीसी और एसपी हमारे पहले दर्जे के नौकर, आज तक अफसर नहीं माना
ई-ट्रेडिग के विरोध में आढ़तियों को संघर्ष का पाठ पढ़ाते पढ़ाते आढ़ती एसोसिएशन के जिला प्रधान दूनी चंद सरकार के खिलाफ व अराजकता के लिए भड़काते नजर आए। इसकी एक वीडियो वायरल हुई है।
पवन पासी : अंबाला शहर
ई-ट्रेडिग के विरोध में आढ़तियों को संघर्ष का पाठ पढ़ाते पढ़ाते आढ़ती एसोसिएशन के जिला प्रधान दूनी चंद सरकार के खिलाफ व अराजकता के लिए भड़काते नजर आए। इसकी एक वीडियो वायरल हुई है। जिसमें मार्केट कमेटी पर धरने पर बैठने से पहले किसान भवन में बैठक कर रहे आढ़तियों से मुखातिब दूनी चंद ने कहा कि सेक्रेटरी हमारा कोई मालिक नहीं है, हमारा नौकर है। यहीं नहीं रुके फिर आढ़तियों से बोले, आप की सोच कम है और मेरी सोच तो यहां तक है कि डीसी व एसपी पहले दर्जे के नौकर हैं। मैंने आज तक इनको कभी अपना अफसर नहीं माना और मैं इनको पहले दर्जे का नौकर मानता हूं, डीसी एसपी को। सेक्रेटरी तो है ही क्या चीज हमारे सामने। आगे कहा कि हर आढ़ती ने अपने धरने पर आना है और दुकान पर नहीं बैठना है। पैसे का लेन देन जब सब कुछ बंद करोगे तो किसान सड़क पर आ जाएगा। सड़कें बंद होंगी। आप ने कुछ नहीं करना वो अपने आप और सरकार फिर सोचेगी कि यह क्या पंगा छिड़ गया। जब किसान सड़क पर आ जाएगा तो सरकार को पता लग जाएगा। जब किसान की फसल नहीं बिकेगी और वह सड़क पर आ गया तो सरकार को अपने आप पता लग जाएगा। इसलिए किसी ने दुकान पर नहीं बैठना बल्कि धरने पर बैठना है।
इससे पहले कहा कि न तो आढ़ती अनाज को थैलों में भरेंगे न ही सिलाई होगी। आप ने कुछ नहीं करना। किसान को कहो कि ड्यूटी देनी है तो दे यहां तेरी ढेरी पड़ी है। अगर ट्राली में लाद कर ले जानी है तो घर ले जाओ। उन्हें एक काम करना है कि गेहूं बिल्कुल नहीं तोलनी है और न ही थैलों में भरना है। जो सरकारी थैले आएं हैं उन्हें उठाकर अंदर रख लो। कोई भराई, तुलाई व सिलाई नहीं करनी। जो आढ़ती यह नियम तोड़ेगा उस पर पचास हजार रुपये जुर्माना होगा। अगर वह कहता है कि वह पचास हजार जुर्माना नहीं देगा तो वह सोच ले कि उसकी दुकान की फिर फसल नहीं बिकेगी। दोनों एसोसिएशन लिख कर दे देगी कि इसकी फसल सरकार और कोई एजेंसी नहीं खरीदेगी फिर कहीं फिर लेना। वह फिर पूरा जोर लगा ले अपना।
हम क्या कमेटी वालों के गुलाम हैं
दूनी चंद ने आगे कहा कि पहले बीसीपीए(बिलिग कम पेमेंट एजेंट) के माध्यम से पेमेंट होती थी। उसमें कोई गड़बड़ होती थी तो आपस में एडजस्ट कर लेते थे। अब नई पॉलिसी में कह रहे हैं कि आप कोई पर्चा (जे फार्म व आई फार्म) नहीं काटेंगे। मार्केट कमेटी पर जाएंगे। कमेटी वाले जे फार्म काटेंगे और फिर बैंक को देंगे। आप ये बताओ कि आप अपने पैसे से अपना काम कर रहे हैं। अब अंग्रेजों का राज नहीं है अब हिदुस्तान आजाद है और हम क्या कमेटी वालों के गुलाम हैं। हम गुलाम नहीं हैं। पीछे से आढ़तियों की आवाज आई कि यह (सरकार) अब धीरे धीरे कर बीच में से निकालना चाहते हैं।