नागा बाबा की समाधि पर लगने वाले मेले पर असमंजस, 11 से शुरू होंगे अखंड पाठ
एयरफोर्स स्टेशन के भीतर जहाज उड़ाने के लिए बनाई गई सफेद और पीली पट्टी के नजदीक बनी नागा बाबा की समाधि पर लगने वाले राज्यस्तरीय मेले को लेकर इस बार भी असमंजस की स्थिति बनी है। हालांकि मेले की अनुमति के लिए श्री गुरुद्वारा सिंह सभा धूलकोट प्रबंधन कमेटी की ओर से एयरफोर्स के अधिकारियों से अनुमति मांगी गई है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : एयरफोर्स स्टेशन के भीतर जहाज उड़ाने के लिए बनाई गई सफेद और पीली पट्टी के नजदीक बनी नागा बाबा की समाधि पर लगने वाले राज्यस्तरीय मेले को लेकर इस बार भी असमंजस की स्थिति बनी है। हालांकि मेले की अनुमति के लिए श्री गुरुद्वारा सिंह सभा धूलकोट प्रबंधन कमेटी की ओर से एयरफोर्स के अधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। इसके लिए प्रधान सुरजीत सिंह के माध्यम से एयरफोर्स के अधिकारियों को चिट्ठी लिखी गई है, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है।
उधर, गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने मेले की तैयारियां शुरू कर दी हैं। 11 से 13 फरवरी तक अखंड साहिब के पाठ होंगे। 11 से पाठ शुरू होंगे और 13 फरवरी यानी रविवार को भोग पड़ेगा। यदि एयरफोर्स ने मेले की अनुमति दी तो इसी दिन मेला भी लगेगा और बाबा की समाधि के दर्शन भी होंगे। 1965 के बाद से लगता आ रहा है मेला
बताया जाता है कि 1965 में जब पाकिस्तान ने देश पर हमला किया था तो उनकी वायुसेना ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन की हवाई पट्टी को निशाना बनाते हुए उसे उड़ाने के लिए बमबारी की थी, लेकिन एक भी बम पट्टी पर नहीं गिरा था। बाबा की समाधि इसी एरिया यानी रन-वे के नजदीक स्थित है। इसीलिए सेना भी बाबा की समाधि की सुरक्षा करती है। इसके बाद से ही यहां मेला लगता आया है। 2016 में नहीं लगा था मेला
नागा बाबा की समाधि पर पहली बार वर्ष 2016 में मेला नहीं लगा था। एक जनवरी को पाक से आए आतंकी पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन में दाखिल हो गए थे। इस हमले के बाद अंबाला में भी एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी और फरवरी माह में होने वाले मेले की तब अनुमति नहीं दी गई थी। इसके बाद गत वर्ष कोरोना के चलते मेले की अनुमति नहीं दी गई थी। केवल 50 लोगों को ही दर्शन की अनुमति दी गई थी। दर्शन के लिए सेना एयरफोर्स स्टेशन के दरवाजे खोलती थी। लिखी गई है चिट्ठी
धूलकोट स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा सोसाइटी के प्रधान सुरजीत सिंह ने दैनिक जागरण संवाददाता को बताया कि एयरफोर्स अधिकारियों को अनुमति के लिए पत्र लिख दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। यह है मान्यता
नागा बाबा की समाधि पर लगने वाले मेले को लेकर कई मान्यताएं हैं। बताया जाता है कि धूलकोट गांव में एक फकीर बाबा आए थे। उनके साथ एक काले रंग का कुत्ता भी था। गांव के लोगों ने उस बाबा को वहां से पत्थर मारकर भगाने का प्रयास किया था। उसी दौरान गांव में तेज बारिश के साथ भयंकर तूफान आ गया, जिसके बाद गांव वालों ने बाबा से माफी मांगी। उनके लिए वहां एक कुटिया बनाकर दी। इसके बाद बाबा ने गांव में सूखे पड़े कुएं को पानी से भर दिया। यहां आने के कुछ समय बाद बाबा ने यहीं अपनी देह त्यागी थी। जब बाबा को दफन किया जा रहा था तो उनके साथ रहने वाले कुत्ते ने भी उस गड्ढे में छलांग लगाकर जान दे दी थी। इसके बाद गांव के लोगों ने बाबा के साथ उनके कुत्ते की भी समाधि यहां बना दी थी।