कमिश्नर मैडम, आपका नाम लेकर कर्मी मांगते हैं रिश्वत, चाहे चेक कर लो सीसीटीवी
कमिश्नर मैडम कमेटी में आपका नाम लेकर कर्मी रिश्वत मांगते हैं चाहे आप सीसीटीवी कैमरे चेक करा लो। यदि आप सच में नगर निगम को भ्रष्टाचारमुक्त करना चाहती हैं तो यहां इंतकाल के रेट लिखे जाने चाहिए। नगर निगम कमिश्नर को लिखित शिकायत देकर एक व्यक्ति ने पैसे लेने वाले कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कमिश्नर मैडम कमेटी में आपका नाम लेकर कर्मी रिश्वत मांगते हैं, चाहे आप सीसीटीवी कैमरे चेक करा लो। यदि आप सच में नगर निगम को भ्रष्टाचारमुक्त करना चाहती हैं, तो यहां इंतकाल के रेट लिखे जाने चाहिए। नगर निगम कमिश्नर को लिखित शिकायत देकर एक व्यक्ति ने पैसे लेने वाले कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इतना ही नहीं सबूत के तौर पर उसने लिखा कि मौके पर उस समय आपके खासमखास कर्मियों के अलावा यह कर्मी भी थे। जैसे ही पैसे मांगने वाले कर्मी को इसकी भनक लगी तो वह यूनियन के सदस्यों के साथ शिकायतकर्ता के पास पहुंच गया। वहां पर यूनियन के पदाधिकारियों ने आरोपित कर्मी की जमकर क्लास लगाई। उसके बाद शिकायतकर्ता के पैर पकड़कर माफी मांगकर ¨पड छुड़ाया। इस तरह दोनों में समझौता हुआ। कमिश्नर नगर निगम ने आरोपित कर्मी का विभाग बदलकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
29 दिसंबर को एक युवक को अपनी सौ गज जमीन की इंतकाल करानी थी। इसके लिए उसने फाइल जमा कराई थी। एक माह बाद 25 जनवरी को वह युवक अपनी फाइल लेने के लिए जब निगम कार्यालय पहुंचा तो संबंधित कर्मी ने कहा कि ऐसे काम नहीं होगा। इसके लिए दो हजार रुपये लगेंगे। युवक की नगर निगम में अच्छी जान-पहचान थी, इसीलिए उसने कर्मी से कहा कि क्या वह उसे नहीं जानता? कर्मी ने रौब मारते हुए कहा कि क्या वह डीसी है? युवक के इन्कार करते ही कहा कि आरोपी कर्मी ने कहा कि यदि वह डीसी नहीं है, तो वह उसे नहीं जानता। पैसे देने पड़ेंगे। युवक ने कहा कि दो हजार रुपये तो नहीं हैं। इस पर कर्मी ने एक हजार रुपये मांगे, लेकिन युवक ने इतने पैसे भी होने से इन्कार कर दिया। इस तरह बात पांच सौ पर पहुंची। पांच सौ में सौदा तय हो गया। युवक ने कहा कि उसकी जेब में अभी दो सौ रुपये ही हैं। तीन सौ बाद में दे देगा। कर्मी ने दो सौ ही ले लिए। दो सौ रुपये देने के बाद युवक ने निगम में ही अपने परिचित कर्मी से इस फाइल को निकलवा लिया और बाद में कमिश्नर को पूरे मामले की शिकायत दे दी। उल्लेखनीय है कि नगर निगम में परिवार के एक व्यक्ति के दूसरे के नाम रजिस्ट्री छह माह के भीतर कराने पर कोई फीस नहीं लगती। छह माह बाद एक हजार और उसके बाद दो हजार रुपये लिए जाते हैं। शिकायतकर्ता ने छह माह से पहले ही आवेदन कर दिया था। इस बारे में निगम आयुक्त मीनाक्षी दहिया से बातचीत का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना लाजमी नहीं समझा।