त्योहारी सीजन में चुनावी रंग में रंगा शहर
त्योहारी सीजन में बाजार पर त्योहारी और चुनावी दोनों रंग सिर चढ़कर बोल रहा है। दुकानदार व ग्राहकों के बीच सामान की खरीदारी के साथ-साथ चुनावी माहौल पर भी बहस हो रही है।
जागरण संवाददाता, अंबाला: त्योहारी सीजन में बाजार पर त्योहारी और चुनावी दोनों रंग सिर चढ़कर बोल रहा है। दुकानदार व ग्राहकों के बीच सामान की खरीदारी के साथ-साथ चुनावी माहौल पर भी बहस हो रही है। जोड़ तोड़ लगाकर हर कोई अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए लगे हुए हैं।
स्थानीय मुद्दों को ज्यादा उछाल कर सड़कों की स्थिति को देखकर जहां मौजूदा सरकार पर निशाना साध रहे हैं। वहीं, दूसरे पक्ष में बोलने वाले युवा भी कम नहीं है। दुकानदार जहां मंदी बताकर कामकाज पर असर बता रहे हैं, वहीं कुछ शहर में हुए विकास कार्यों की सराहना करते हुए दिखाई दिए।
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प्रदेश में सरकार ने काम तो किए हैं, लेकिन अभी और सुधार भी होना जरूरी है। सबका मतदान करने का अपना अधिकार है। कुछ लोग सरकार के पक्ष में होते हैं कुछ विपक्ष में। चुनाव का परिदृश्य अभी साफ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि चुप्पी साधे हुए बैठे मतदाता ही पूरा खेल बदलते हैं।
-पवन शर्मा, दुकानदार
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जनता के रुझान की बात है। आखिरी समय तक चुनाव में बदलाव देखने को मिल सकता है। चाहे कोई भी दुकान पर आए, लेकिन जनता है कि भविष्य को ध्यान में रखकर ही वोट डालेगी। केवल घोषणाओं का दौर खत्म हो चुका है, जनता को तो केवल विकास करने वाला नेता चाहिए। चाहे फिर वह किसी भी पार्टी का क्यूं ना हो।
-अनिल कुमार, दुकानदार
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अबकी बार चुनाव के नतीजे कुछ अलग ही सामने आएंगे। इस सरकार में काम को काफी हुए है। हो सकता है जनता की कुछ उम्मीदें अधूरी रह गई हो, लेकिन पांच साल का कार्यकाल ठीक ही रहा है। जो भी सरकार बने, उसे सबसे पहले रोजाना बढ़ रही मंहगाई, पेट्रोल के बढ़ते दामों पर रोक लगानी चाहिए। इस महंगाई ने परेशानी में डाल रखा है।
मिठ्ठू राम, दुकानदार
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अंबाला में विकास कार्यो की रफ्तार बढ़ी है। चुनाव का मकसद केवल विकास से जुड़ा है। प्रतिनिधि वही होना चाहिए तो तन-मन-धन से अंबाला की सूरत बदलने का कार्य करें। चाहे फिर रोजगार को बढ़ावा देने की बात हो या फिर या फिर अपराध पर रोक लगाने की। मतदान हक है और वोट आखिरी समय तक सोच समझकर ही देंगे।
धीरज कुमार, दुकानदार
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महंगाई पर रोक लगाने वाली सरकार ही बननी चाहिए। चुनाव एक निश्चित अंतराल पर चलने वाली प्रक्रिया है। भारत सफल लोकतांत्रिक प्रणाली वाले देशों में शुमार है। यहां चुनाव को लोकतंत्र का महापर्व माना जाता है और ऐसे में यह स्वाभाविक है कि चुनाव के बाद जब तक नई सरकार नहीं बन जाती यह चर्चाएं होती रहेंगी।
-अशोक चंदानी, दुकानदार