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चीफ कंट्रोलर की अर्जी, एचएसवीपी के अफसरों ने पेमेंट के लिये मांगा समय

किसानों की पूरी पेमेंट न किये जाने के मामले में अतिरिक्त जिला सेशन जज संदीप सिंह की अदालत ने एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के चीफ कंट्रोलर फाइनेंस के कंडीशनल गिरफ्तार वारंट जारी किये थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 09:02 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 09:02 AM (IST)
चीफ कंट्रोलर की अर्जी, एचएसवीपी के  अफसरों ने पेमेंट के लिये मांगा समय
चीफ कंट्रोलर की अर्जी, एचएसवीपी के अफसरों ने पेमेंट के लिये मांगा समय

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर

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किसानों की पूरी पेमेंट न किये जाने के मामले में अतिरिक्त जिला सेशन जज संदीप सिंह की अदालत ने एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के चीफ कंट्रोलर फाइनेंस के कंडीशनल गिरफ्तार वारंट जारी किये थे। इसके बाद तारीख पर चीफ कंट्रोलर फाइनेंस ने अदालत में हाजिर न होने पर अपनी अर्जी भेजी।

हालांकि उनकी जगह अदालत में एचएसवीपी के अकाउंट ऑफिसर, एस्टेट ऑफिसर, हुडा का वकील और लैंड एक्सीक्यूशन ऑफिसर पंचकूला राजकुमार भौरियां ने हाजिरी लगाई। इसमें उन्होंने अदालत से किसानों की पेमेंट करने के लिये थोड़ा ओर समय मांगा। फिलहाल अदालत ने मामले में अगली तारीख लगा दी है।

बता दें कि पुरुषोत्तम बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा का मामला कोर्ट में विचाराधीन था। इसमें किसानों ने मुआवजे को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को पार्टी बनाया हुआ है। मामले में किसानों की अदालत में इजराये लंबित थी। इसी तरह कौलां में जमीन अधिग्रहण मामले में विक्रांत की अदालत में इजराये लंबित थी। इसके बाद दोनों केसों के बाद अदालत ने हुडा के चीफ कंट्रोलर फाइनेंस पंचकूला के कंडिश्नल गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिये थे। जिसमें किसानों की राशि देनी होगी वरना जेल भेजा जाएगा।

-अफसरों की लेटलफीती, सरकार पर करोड़ों के ब्याज का भार

किसानों की जमीन अधिग्रहण के बाद अदालत ने मुआवजा बढ़ाकर राशि दिये जाने के आदेश दे दिये थे। उसके बाद भी किसानों की पूरी राशि अदा नहीं की गई। ऐसे में तब से किसानों को दिये जाने वाली राशि पेंडिग हैं, जबकि उस राशि पर ब्याज लग रहा है। जो अदालत के निर्देशों के मुताबिक एचएसवीपी को देना पड़ेगा। एचएसवीपी को अन्य कई मामलों के कारण बतौर ब्याज का ही करोड़ों रुपये भरना पड़ेगा।

16 साल पहले किया गया था जमीन का अधिग्रहण

एचएसवीपी ने शाहपुर में 2003 में सेक्टर के लिए करीबन 186 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। जमीन अधिग्रहण की एवज में हुडा ने किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से करीबन पौने तीन लाख रुपये ब्याज समेत अन्य राशि भी शामिल कर दी थी। नाखुश किसानों ने मामले को अदालत में चुनौती दी थी। कोर्ट ने 2011 में किसानों की मुआवजा राशि बढ़ाकर 297 रुपये प्रति गज के हिसाब से तय की थी। ब्याज और अन्य बेनीफीट अलग से थे।


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