सामूहिक दुष्कर्म की जांच मामले में दो इंस्पेक्टर समेत आठ पर केस दर्ज
साल 2018 में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच में जुटी पुलिस अब खुद नारायणगढ़ थाने में दर्ज हुए मामले में उलझ गई है। सीसीटीवी फुटेज में पुलिसकर्मी भी मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। वीरवार देर रात नारायणगढ़ थाना पुलिस ने कपिल ठाकुर की शिकायत पर दो इंस्पेक्टर सहित आठ पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी है।
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ (अंबाला) : साल 2018 में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच में जुटी पुलिस अब खुद नारायणगढ़ थाने में दर्ज हुए मामले में उलझ गई है। सीसीटीवी फुटेज में पुलिसकर्मी भी मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। वीरवार देर रात नारायणगढ़ थाना पुलिस ने कपिल ठाकुर की शिकायत पर दो इंस्पेक्टर सहित आठ पुलिस मुलाजिमों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस कर्मचारियों पर मारपीट करने, कार ले जाने और कार से 50 हजार रुपये निकालने के आरोप लगे हैं।
वर्ष 2018 में पंचकूला पुलिस सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जांच करने के लिए नारायणगढ़ आई थी और सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने के आरोप में शिव कुमार और कपिल ठाकुर पर केस दर्ज किया था। आरोप था कि दोनों ने आरोपित विष्णु को छुड़वाने का प्रयास किया है जो कि सामूहिक दुष्कर्म के मुकदमे में वांछित था। वीरवार को नारायणगढ़ पुलिस ने इंस्पेक्टर नवीन सहाराण, कर्मवीर सिंह, एएसआइ प्रदीप कुमार पंचकूला, ओम प्रकाश पंचकूला, हेडकांस्टेबल रविद्र पाल पंचकूला, कंवरपाल पंचकूला, प्रविदर पंचकूला, ईएचसी लखमीरा पंचकूला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिन मुलाजिमों पर नारायणगढ़ थाने में मामला दर्ज किया गया है, वे सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जांच करने के लिए गांव लौटों आए थे।
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पुलिस कर्मचारियों पर ये आरोप
दूध की डेयरी चलाने वाले कपिल ठाकुर ने शिकायत में कहा कि एक मई 2020 को 9 से 10 पुलिस कर्मचारी प्राइवेट गाड़ी में आए और उनके चाचा विष्णु को पकड़ लिया। आरोप है कि रुपये मांगे और नहीं देने पर उसके साथ मारपीट करने लगे। पुलिसकर्मी गाड़ी की चाबी मांग रहे थे, जिस पर एतराज करने पर कपिल से भी मारपीट शुरू कर दी। आरोप है कि चाचा-भतीजा दोनों की पिटाई की और दादा कुलदीप सिंह को भी धक्का देकर नीचे गिरा दिया। बाद में पुलिसकर्मी नारायणगढ़ थाने ले गए और वहां पर मुकदमा दर्ज करवा दिया। आरोप है कि कार को दो दिन बाद वापस कर दिया, लेकिन उसमें से 50 हजार रुपये निकाल लिए। दो मई 2020 को सुबह छोड़ दिया, जिसके बाद कपिल ने नारायणगढ़ नागरिक अस्पताल से मेडिकल भी कराया। एमएलआर की प्रतिलिपि और सीडी जिसमें दो वीडियो क्लिप थी, वह भी दी गई। इसकी शिकायत करने पर कार्रवाई नहीं हुई। जब इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तो उच्चाधिकारियों और मानवाधिकार आयोग चंडीगढ़ को शिकायत भेजी।
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मानवाधिकार आयोग ने जांच पर सवाल उठाए
मानवाधिकार आयोग को जब शिकायत दी तो आयोग ने जांच रिपोर्ट मांगी। जांच रिपोर्ट के साथ-साथ आयोग ने वीडियो क्लिप देखी और एमएलआर की रिपोर्ट को भी पढ़ा। आयोग ने साफ कहा कि डीएसपी ने इस मामले में जांच पक्षपतापूर्ण तरीके से की है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि आरोपित शिकायतकर्ताओं को पीट रहे हैं। इसके अलावा एमएलआर में जो चोटें दर्शाई गई हैं, उसको भी नजरंदाज किया गया है। ऐसे में साफ दिख रहा है कि जांच सही तरीके से नहीं की गई, जबकि पुलिस के पक्ष में की गई है।
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इस तरह वीडियो क्लिप पेश की गई
कपिल ठाकुर द्वारा दी गई वीडियो क्लिप को जांच के दौरान चलाकर देखा गया। पुलिस कर्मचारी आते नजर आ रहे हैं और गाड़ियों को पेड़ के पास खड़ा किया गया। सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित विष्णु को पकड़कर पांच मिनट 25 सेकेंड बातचीत की गई। इस दौरान पुलिस एक लड़के को हटाती दिख रही है और एक बुजुर्ग व्यक्ति सामने खड़े पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई शुरू कर देता है। इंस्पेक्टर बुजुर्ग व्यक्ति को जोर से धक्का मारता दिखाई देता है और बुजुर्ग गिर जाता है। इंस्पेक्टर कपिल ठाकुर पर लगातार डंडे बरसाता साफ दिखाई देता है। इस मामले की जांच मानवाधिकार आयोग चेयरपर्सन के आदेशों पर की गई और बाद में मामला दर्ज करने के आदेश भी जारी हुए। कानूनी राय लेने के बाद नारायणगढ़ थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
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इस तरह सामूहिक दुष्कर्म के मामले में हुई थी कार्रवाई
सन 2018 में सामूहिक के मामले में 40 लोगों को आरोपित बनाया गया था। इस मामले में पीड़ित महिला के पति का नाम भी उछला था। बाद में मामला तूल पकड़ा तो एसआइटी बना दी गई। लंबे समय तक एसआइटी ने जांच की और 21 महीने बाद एक और आरोपित को गिरफ्तार करने की कार्रवाई जारी रही। जिस आरोपित को गिरफ्तार किया गया था उसने स्वयं को पुलिसकर्मी बताकर महिला को 50 रुपये का नोट दिया था। इस नोट पर अपना मोबाइल नंबर भी लिखा था। आरोपित नारायणगढ़ का रहने वाला विष्णु था। गेस्ट हाउस संचालक ने ही शिकायतकर्ता की मुलाकात फर्जी पुलिस कर्मी बताने वाले आरोपित विष्णु से करवाई थी।