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ब्रेन डेड युवक ने तोड़ा दम, अंग दान से तीन को मिली नई जिंदगी

सड़़क हादसे में घायल होने के बाद एक युवक काे डॉक्‍टरों ने ब्रेन डेड करार दिया। बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसके अंगों से तीन लाेगों को जीवनदान मिला।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 03:50 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:05 PM (IST)
ब्रेन डेड युवक ने तोड़ा दम, अंग दान से तीन को मिली नई जिंदगी
ब्रेन डेड युवक ने तोड़ा दम, अंग दान से तीन को मिली नई जिंदगी

अंबाला, [हरीश कोचर]। कालपी के नजदीक स्थित हसनपुरा गांव के अनुसूचित जाति के परिवार के युवक 21 साल का अरुण कुमार का सड़क हादसे घायल हो गया। इलाज के बावजूद वह ब्रेनडेड हो गया। काफी मशक्‍क्‍त के बाद उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो परिजनों ने प्रेरणादायी फैसला लिया। उन्‍होंने बेटे के शरीर से लीवर, किडनी और पैनक्रिया दान कर चंडीगढ़ पीजीआइ में दाखिल तीन मरीजों को नई जिंदगी दी। इसके लिए परिजनों ने नाते-रिश्तेदारों की राय को भी दरकिनार कर दिया।

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17 जून को हुआ था हादसा 

अरुण कुमार गांव के ही राहुल व विजय कुमार के साथ कालाआम्ब में स्थित एक फैक्टरी में काम करता था। 17 जून को अरुण अपने दोनों दोस्तों के साथ फैक्टरी से मोटरसाइकिल पर वापस लौट रहा था। नारायणगढ़ से कालपी रोड पर औखल पीर चौक के पास एक कार ने बाइक को टक्कर मार दी। अरुण के सिर, टांग, बाजू समेत शरीर के अन्य कई जगहों पर भी गंभीर चोटें थी।

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18 जून को डॉक्टरों ने घायल के सिर का दो बार सीटी स्कैन व एमआरआइ करवाया। दोनों ही रिपोर्ट में आया कि उसका ब्रेन डेड हो गया है। हालत बिगड़ती देख 19 जून को डॉक्टरों ने उसे आइसीयू में वेंटीलेटर पर लगा दिया। डाक्टरों ने परिजनों को बताया कि ब्रेन डेड होने से अरुण का बचना मुश्किल है।

वेंटीलेटर पर तोड़ा दम

सड़क हादसे के बाद घायल अरूण कुमार के दिमाग ने पहले ही काम करना बंद कर दिया था और 23 जून को वेंटीलेटर पर सांसों ने भी आखिरकार उसका साथ छोड़ दिया। उसकी मौत के बाद डॉक्टरों की टीम ने उसके शरीर से लीवर, गुर्दे और पैनक्रिया निकाल ली। इसके बाद तीन अन्य मरीजों को इन अंगों से नया जीवन मिला।

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डॉक्टर ने बदली परिजनों की सोच

डॉक्टरों ने अरुण के परिजनों को उसके अंग दान करने की सलाह दी। पीजीआइ के नोडल डॉक्टर ने उन्हें समझाया कि अगर वह उसके कुछ ठीक अंग दान कर देते हैं तो इससे कई मरीजों की जिंदगी बच जाएगी। पीजीआइ एक कार्ड भी बनाकर देगा जिसके आधार पर आप कभी भी यह अंग पीजीआइ में निश्‍शुल्क किसी भी मरीज को भी उपलब्ध करवा सकते हैं।


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