बनारस जीआरपी को मिले थे आरपीएफ के खिलाफ सुबूत, केस सहारनपुर ट्रांसफर
कोलकाता से अमृतसर जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में बीस तोले सोना चोरी प्रकरण में बनारस जीआरपी मुख्य आरोपित लाखन के गांव से खाली हाथ लौट आई।
दीपक बहल, अंबाला
कोलकाता से अमृतसर जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में बीस तोले सोना चोरी प्रकरण में बनारस जीआरपी मुख्य आरोपित लाखन के गांव से खाली हाथ लौट आई। हालांकि आरोपित के स्वजनों ने जीआरपी के आगे मुंह खोलते स्पष्ट कर दिया था कि सोना और एक लाख तीस हजार रुपये आरपीएफ को दिए हैं। लाखन जीआरपी को नहीं मिला, लेकिन केस बनारस रेलवे पुलिस से सहारनपुर जीआरपी का ट्रांसफर कर दिया है। मंगलवार को इस मामले के पीड़ित रवि शंकर तिवारी को सहारनपुर जीआरपी ने बयान लेने के लिए थाने में बुलाया है। अब तक तिवारी के आधा दर्जन से अधिक बयान दर्ज हो चुके हैं, लेकिन सोना आज तक नहीं मिल पाया। बनारस जीआरपी से उम्मीद बंधी थी लेकिन केस अब सहारनपुर ट्रांसफर कर दिया गया है।
उधर, आरपीएफ की किरकिरी के बाद गठित की गई एसआइटी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट उत्तर रेलवे के आइजी एसएन यादव को नहीं सौंपी है, लेकिन एसआइटी की जांच में स्पष्ट हो चुका है कि इस प्रकरण में आरपीएफ की कार्यप्रणाली में संदेह के घेरे में आने के कारण ही महकमे की साख खराब हुई है। मुरादाबाद से लेकर अंबाला तक किस तरह से आरपीएफ के नेटवर्क से चोर गिरोह के सदस्य हत्थे आए, लेकिन आरपीएफ ने रेलवे एक्ट का मामला दर्ज खुद को कटघरे में खड़ा कर दिया। सूत्रों का कहना है कि एसआइटी ने विभागीय जांच की है और उनकी जांच में सच सामने आ चुका है।
-----------
यह है मामला
बनारस निवासी रविशंकर तिवारी का बीस तोले सोना ट्रेन में चोरी हो गया था। तिवारी बनारस से चले थे जो सपरिवार सहारनपुर उतर गए थे। चोरी करने के बाद लाखन और उसके अन्य साथी अंबाला आउटर पर उतर गए, जहां पर आरपीएफ की सीआइबी टीम ने लाखन को पकड़ लिया। आरोपित लाखन के अन्य साथी फरार हो गए, जिसके बाद लाखन के खिलाफ रेलवे एक्ट में मामला दर्ज कर लिया गया । उस समय दस्तावेजों में लाखन ने अपने बयानों में कहा कि वह चोरी की नीयत से ट्रेन में चढ़ा, जबकि मामला जीआरपी की जगह आरपीएफ तक ही सीमित रह गया। जमानत पर छूटने के बाद लाखन ने आरपीएफ पर सोना लेने और रिश्वत के आरोप लगाकर जीआरपी अंबाला को ईमेल कर दी, जिसकी जांच जारी है।
----------
अंबाला आरपीएफ का रोजनामचा भी संदेह के घेरे में
आरपीएफ अंबाला पोस्ट का रोजनामचा भी संदेह के घेरे में आ चुका है। चर्चाएं हैं कि रोजनामचे को करीब दो घंटे तक रोके रखा और बाद में चार बजे की शिफ्ट में जिन जवानों की रवानगी की गई, उनके फर्जी हस्ताक्षर कर दिए गए। इस पूरे प्रकरण में सीआइबी ही नहीं बल्कि आरपीएफ पोस्ट के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। उधर, सीनियर कमांडेंट आर रघुवीर ने कहा कि अभी इस मामले की रिपोर्ट सामने नहीं आई है।